स्पेसएक्स (SpaceX) की सैटेलाइट इंटरनेट सेवा स्टारलिंक (Starlink) को भारत में काम करने की मंजूरी मिल गई है। सरकार ने स्टारलिंक को आवश्यक लाइसेंस प्रदान कर दिया है, जिससे यह देश में इंटरनेट सेवाएं शुरू कर सकेगी। उम्मीद की जा रही है कि अगले 15 दिनों के भीतर ट्रायल शुरू हो जाएगा और इसके बाद चरणबद्ध तरीके से सेवाओं का विस्तार किया जाएगा।
स्टारलिंक एक लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) आधारित सैटेलाइट इंटरनेट नेटवर्क है, जो पृथ्वी के नजदीक घूमने वाले हजारों छोटे उपग्रहों के माध्यम से इंटरनेट उपलब्ध कराता है। यह तकनीक खास तौर पर उन दूरदराज के इलाकों के लिए फायदेमंद है जहां परंपरागत इंटरनेट इंफ्रास्ट्रक्चर की पहुंच सीमित है। भारत के ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड सेवा की कमी को देखते हुए स्टारलिंक एक क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।
ट्रायल के पहले चरण में चुनिंदा क्षेत्रों में सेवा शुरू की जाएगी। इसके बाद उपभोक्ताओं की प्रतिक्रिया और तकनीकी परीक्षणों के आधार पर पूरे देश में इसका विस्तार किया जाएगा। कंपनी का लक्ष्य है कि भारत के हर कोने – चाहे वह पहाड़ों में हो या रेगिस्तान में – उच्च गति का इंटरनेट पहुंचाया जाए।
सरकार की ओर से दी गई मंजूरी के तहत, स्टारलिंक को अब भारत में कमर्शियल रूप से इंटरनेट सेवा देने की इजाजत मिल गई है। इससे पहले भारत सरकार ने कंपनी को कुछ नियमों और शर्तों के कारण सेवाएं शुरू करने से रोका था। अब जब सभी आवश्यक अनुमतियां मिल चुकी हैं, तो कंपनी की योजना है कि वह तेजी से नेटवर्क स्थापित करे और उपग्रहों के जरिये सेवा देना शुरू करे।
विशेषज्ञों का मानना है कि स्टारलिंक की सेवा ग्रामीण शिक्षा, डिजिटल हेल्थकेयर, और कृषि जैसे क्षेत्रों में बड़ी भूमिका निभा सकती है। डिजिटल इंडिया के लक्ष्य को पूरा करने में भी यह कदम काफी मददगार साबित हो सकता है।
इस तरह, स्टारलिंक का भारत में प्रवेश इंटरनेट सेवा के एक नए युग की शुरुआत है, जो डिजिटल डिवाइड को पाटने में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।