पश्चिम एशिया में तनाव चरम पर पहुंच गया है। ईरान और इज़राइल के बीच लंबे समय से चल रही तनातनी अब सीधे सैन्य संघर्ष में तब्दील हो चुकी है। ताज़ा घटनाक्रम में ईरान ने इज़राइल की ओर करीब 150 मिसाइलें दागी हैं, जिनमें से अधिकांश का लक्ष्य राजधानी तेल अवीव और सैन्य प्रतिष्ठान रहे हैं। इसके साथ ही लेबनान और जॉर्डन की सीमाओं की ओर से भी इज़राइल पर रॉकेट और ड्रोन से हमले की खबरें आ रही हैं, जिससे हालात और अधिक विस्फोटक बन गए हैं।
इज़राइल के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, देश की वायु रक्षा प्रणाली "आयरन डोम" ने कई मिसाइलों को बीच में ही नष्ट कर दिया, लेकिन कुछ मिसाइलें सैन्य ठिकानों और आवासीय क्षेत्रों में आकर गिरीं, जिससे जान-माल का नुकसान हुआ है। शुरुआती रिपोर्ट्स के अनुसार, कम से कम 12 लोगों के घायल होने की पुष्टि हुई है, जबकि कई घरों और वाहनों को नुकसान पहुंचा है।
दूसरी ओर, ईरान की रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने इस हमले को “जवाबी कार्रवाई” करार दिया है। ईरानी मीडिया का दावा है कि यह हमला इज़राइल द्वारा सीरिया में किए गए हवाई हमले में मारे गए ईरानी सैन्य अधिकारियों की मौत का बदला है। तेहरान का कहना है कि अगर इज़राइल ने आक्रामक रुख जारी रखा, तो हमले और तेज़ किए जाएंगे।
इस हमले के बाद पश्चिम एशिया के हालात बेहद अस्थिर हो गए हैं। लेबनान स्थित हिज़बुल्लाह संगठन ने भी इज़राइल की उत्तरी सीमाओं पर गोलाबारी की है, जिससे इज़राइल को दो मोर्चों पर संघर्ष करना पड़ रहा है। वहीं, जॉर्डन ने फिलहाल हमलों में प्रत्यक्ष भूमिका से इनकार किया है, लेकिन सीमाई इलाकों से हमलों की खबरें चिंता बढ़ा रही हैं।
अमेरिका और यूरोपीय देशों ने इस तनाव को लेकर गहरी चिंता जताई है। व्हाइट हाउस ने बयान जारी कर कहा है कि अमेरिका इस हमले में किसी तरह की भागीदारी नहीं रखता और दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील करता है। संयुक्त राष्ट्र ने भी तत्काल युद्धविराम की मांग की है और मध्यस्थता की पेशकश की है।
इस संघर्ष का असर वैश्विक राजनीति और ऊर्जा बाजारों पर भी पड़ने लगा है। तेल की कीमतों में अचानक उछाल आया है और शेयर बाजारों में गिरावट देखी जा रही है।