12 जून 2025 को आतंकवादी संगठन अल कायदा ने एक खतरनाक और चौंकाने वाली 'किल लिस्ट' जारी कर अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट मोड में डाल दिया है। इस सूची में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, ओहायो के सीनेटर जेडी वेंस, और विश्वप्रसिद्ध उद्योगपति व टेस्ला-एक्स मालिक एलन मस्क के नाम प्रमुखता से शामिल हैं। संगठन ने खुले तौर पर इन प्रमुख हस्तियों की हत्या की अपील करते हुए एक नई वैश्विक चुनौती खड़ी कर दी है।
कट्टरपंथी भाषण में दिया गया हत्या का आह्वान
सूत्रों के अनुसार, यह ‘किल लिस्ट’ अल कायदा के मीडिया विंग द्वारा एक कट्टरपंथी प्रचार वीडियो के माध्यम से जारी की गई, जिसमें इन हस्तियों को "इस्लाम विरोधी सोच" का प्रतीक बताते हुए उनके खिलाफ हिंसक कार्रवाई की मांग की गई है। वीडियो में सीधा संदेश दिया गया है कि "इस्लाम के दुश्मनों को खत्म करना अब जरूरी है।" अमेरिका, यूरोप और पश्चिमी लोकतांत्रिक ढांचे को चुनौती देने वाला यह संदेश तुरंत खुफिया एजेंसियों की निगरानी में आ गया।
सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट पर
अमेरिकी होमलैंड सिक्योरिटी और एफबीआई ने तुरंत सभी लक्षित व्यक्तियों की सुरक्षा बढ़ा दी है। एलन मस्क के स्पेसएक्स मुख्यालय, डोनाल्ड ट्रंप के फ्लोरिडा स्थित मार-ए-लागो रेजिडेंस और वेंस के सीनेट ऑफिस के आसपास सुरक्षा का विशेष घेरा तैयार किया गया है। यूएस स्टेट डिपार्टमेंट ने इसे "घोर गंभीर सुरक्षा खतरा" करार देते हुए मामले की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जांच शुरू कर दी है।
तकनीक और राजनीति पर हमला?
विश्लेषकों का मानना है कि यह सूची केवल राजनीतिक या धार्मिक विद्वेष का परिणाम नहीं है, बल्कि यह पश्चिमी तकनीकी प्रभुत्व, उदार लोकतांत्रिक व्यवस्था और पूंजीवादी व्यवस्था पर सुनियोजित हमला है। एलन मस्क को इस सूची में शामिल किया जाना विशेष रूप से दर्शाता है कि कट्टरपंथी ताकतें तकनीकी नवाचार और वैश्विक प्रभाव वाले व्यक्तियों को भी अपना निशाना बना रही हैं।
वैश्विक प्रतिक्रियाएं
इस सूची के जारी होते ही संयुक्त राष्ट्र, नाटो और यूरोपीय संघ समेत दुनिया के कई देशों ने अल कायदा की कड़ी निंदा की है। भारत, फ्रांस, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया ने भी बयान जारी करते हुए आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक एकजुटता की आवश्यकता पर बल दिया।
अल कायदा द्वारा जारी की गई यह किल लिस्ट न केवल व्यक्तिगत स्तर पर खतरनाक है, बल्कि यह वैश्विक स्थिरता, स्वतंत्रता और सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती है। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि कट्टरपंथी नेटवर्क अब सिर्फ सीमाओं तक सीमित नहीं, बल्कि वैचारिक प्रभाव रखने वाली वैश्विक हस्तियों को भी निशाना बना रहे हैं।