एयर इंडिया के एक विमान की हालिया आपात स्थिति के बाद अब उसकी तकनीकी जांच प्रक्रिया को और गंभीरता से लिया जा रहा है। कंपनी ने पुष्टि की है कि क्रैश में शामिल विमान का ब्लैक बॉक्स अमेरिका भेजा जाएगा, ताकि उसकी गहराई से जांच हो सके और तकनीकी कारणों का सटीक विश्लेषण किया जा सके।
ब्लैक बॉक्स की जांच से खुलेगा राज
एयर इंडिया ने बताया कि अमेरिका की नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड (NTSB) और संबंधित तकनीकी संस्थाएं इस ब्लैक बॉक्स की जांच करेंगी। इससे न केवल विमान के अंतिम क्षणों की जानकारी मिल सकेगी, बल्कि पायलट की बातचीत, फ्लाइट डेटा, और संभावित तकनीकी खराबी का भी खुलासा हो सकता है। इस जांच का मकसद भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक सुरक्षा उपायों को मजबूत करना है।
3 अंतरराष्ट्रीय रूट्स पर अस्थायी रोक
ब्लैक बॉक्स जांच के साथ-साथ एयर इंडिया ने अपने अंतरराष्ट्रीय संचालन में भी बड़े बदलाव की घोषणा की है। कंपनी ने 15 जुलाई 2025 तक तीन प्रमुख अंतरराष्ट्रीय रूट्स – मिलान (इटली), कोपेनहेगन (डेनमार्क) और विएना (ऑस्ट्रिया) – पर उड़ानों को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है। कंपनी ने कहा कि ये फैसला परिचालन संबंधी समीक्षा और संसाधनों के पुनः आवंटन के तहत लिया गया है।
16 मार्गों पर घटाई जाएंगी उड़ानें
इसके अतिरिक्त, एयर इंडिया ने 16 अंतरराष्ट्रीय मार्गों पर उड़ानों की संख्या में कटौती की है। इनमें अमेरिका, यूरोप, और एशिया के कई शहर शामिल हैं। टोरंटो, फ्रैंकफर्ट, शिकागो, न्यूयॉर्क, दुबई, सिंगापुर और बैंकॉक जैसे गंतव्यों की उड़ानों की आवृत्ति में अस्थायी रूप से कमी की जाएगी।
एयर इंडिया के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, "यह फैसला विमानों के पुनर्संयोजन और मौजूदा संसाधनों की प्रभावी तैनाती की प्रक्रिया का हिस्सा है। यात्रियों की सुरक्षा और परिचालन गुणवत्ता हमारी प्राथमिकता है।"
यात्रियों को हुई असुविधा, मिलेगी राहत
कंपनी ने कहा है कि प्रभावित यात्रियों को ईमेल और एसएमएस के ज़रिए सूचित किया जा रहा है। वैकल्पिक उड़ानें, फुल रिफंड या रिइश्यू की सुविधा भी यात्रियों को दी जा रही है। एयर इंडिया ने यात्रियों से अपील की है कि वे यात्रा से पहले अपनी उड़ानों की स्थिति की पुष्टि करें।
एयर इंडिया की यह रणनीतिक कार्रवाई सुरक्षा को प्राथमिकता देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। ब्लैक बॉक्स की जांच से जहां विमान दुर्घटना के तकनीकी कारण सामने आ सकते हैं, वहीं उड़ानों में कटौती से संसाधनों का अधिक कुशल प्रबंधन संभव होगा।