ईरान और पश्चिमी देशों के बीच बढ़ते तनाव के बीच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कूटनीतिक गतिविधियां तेज़ हो गई हैं। इसी क्रम में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण टेलीफोनिक बातचीत की। इस वार्ता में ईरान से जुड़ी मौजूदा स्थिति पर विशेष रूप से चर्चा हुई, जिसमें दोनों नेताओं ने अमेरिका को परोक्ष रूप से कड़ा संदेश देने की कोशिश की।
वैश्विक असंतुलन पर जताई चिंता
रूसी क्रेमलिन की ओर से जारी बयान में कहा गया कि पुतिन और जिनपिंग ने पश्चिम एशिया में उत्पन्न हो रहे असंतुलन और तनाव पर गंभीर चिंता जताई है। दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि किसी भी प्रकार का सैन्य समाधान इस क्षेत्र को और अधिक अस्थिर कर सकता है। उन्होंने कूटनीति और बातचीत के ज़रिए समस्याओं के हल की वकालत की।
अमेरिका के एकतरफा रुख पर निशाना
बातचीत के दौरान यह भी स्पष्ट हुआ कि दोनों देश अमेरिका की ईरान नीति को लेकर नाखुश हैं। पुतिन और जिनपिंग ने अमेरिका की 'एकतरफा और आक्रामक' नीतियों को क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरनाक बताया। उन्होंने कहा कि यदि पश्चिमी देश विशेष रूप से अमेरिका, मध्य पूर्व में हस्तक्षेप जारी रखते हैं, तो इससे वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति और सुरक्षा संतुलन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
चीन-रूस की साझेदारी हुई और मजबूत
इस संवाद के ज़रिए यह भी स्पष्ट हुआ कि रूस और चीन, दोनों न सिर्फ रणनीतिक रूप से साथ हैं, बल्कि वैश्विक मंच पर एक साझा दृष्टिकोण अपनाने को लेकर प्रतिबद्ध भी हैं। पुतिन और जिनपिंग ने एक बार फिर बहुपक्षीय व्यवस्था को मज़बूत करने और संयुक्त राष्ट्र की भूमिका को प्रासंगिक बनाए रखने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
ईरान को लेकर अमेरिका और उसके सहयोगी जहां आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं, वहीं चीन और रूस संयम, संवाद और कूटनीतिक समाधान की वकालत कर रहे हैं। पुतिन और जिनपिंग की यह बातचीत न केवल ईरान संकट को लेकर गंभीर संकेत देती है, बल्कि वैश्विक सत्ता संतुलन में बदलाव के संकेत भी देती है।