यह स्पष्ट है कि ट्रंप के दावे—ईरान के परमाणु स्थलों को "पूरी तरह से तबाह" करने की बात—वास्तव में वास्तविकता से मेल नहीं खाते। शुरुआती अमेरिकी खुफिया रिपोर्टों में यह संकेत मिलता है कि इन हमलों ने ईरान के मुख्य परमाणु परिसर—फ़ोर्डो, नतांज़ और इस्फ़हान—को पूरी तरह नहीं नष्ट किया बल्कि केवल थोड़े समय के लिए पीछे धकेला।
🎯 खुफिया अनुमान: सतही नुकसान, जड़ों में बचाव
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एक प्रारंभिक आकलन, जिसे सैन्य खुफिया एजेंसी DIA ने तैयार किया, यह कहता है कि इन हमलों ने ईरान के परमाणु ढांचे की "कोर इंफ्रास्ट्रक्चर" को नहीं छोड़ा, और गिरफ्त में रखे गए केंद्रों को छूआ नहीं सूत्रों के अनुसार, फ़ोर्डो और नतांज़ की भूमिगत सुविधाएँ ज्यों की त्यों बची रहीं, जबकि ऊपर मौजूद ढांचे को क्षति तो पहुँची लेकिन बमों ने उन्हें पूरी तरह ध्वस्त नहीं किया ।
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अनुमानित तौर पर यह हमले ईरान के परमाणु कार्यक्रम को केवल कुछ महीनों के लिए रोके पाए, लंबे समय के लिए नहीं—DIA के अनुसार, प्रोग्राम लगभग छह महीनों तक ही रुक सकता है ।
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📰 ट्रंप और व्हाइट हॉउस का पलटवार
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ट्रंप ने स्पष्ट रूप से कहा कि "केंद्रों को पूरी तरह मिटा दिया गया है," और इसे बड़े सैन्य "सफलता" के रूप में बताया ।
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व्हाइट हॉउस ने DIA रिपोर्ट को झूठ और "टॉप सीक्रेट" मानकर खारिज किया, इसे लीक बताया तथा ट्रंप और 'बहादुर पायलटों' की सफलता की दुहाई दी ।
🌐 उपरी सतह की जानकारी और विशेषज्ञ टिप्पणियाँ
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उपग्रह तस्वीरों में फ़ोर्डो परिसर में "बंकर-बस्टर" बमों से हुए छिद्र दिखे, लेकिन गहराई में संरचना के क्षतिग्रस्त होने को लेकर अनिश्चितता बनी रही ।
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ईरान ने संभवतः हमले से पहले संवेदनशील सामग्रियाँ और उच्च-शुद्धता वाले यूरेनियम कहीं और स्थानांतरित कर लिए थे, ताकि उन्हें बचाया जा सके ।
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विशेषज्ञों का मानना है कि बमों ने प्रोग्राम को केवल अस्थायी ठहराव दिया, लेकिन इसके पुनःजीवित होने की संभावना बनी हुई है ।
🏛️ राजनीतिक एवं रणनीतिक परिणाम
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कांग्रेस में डेमोक्रेट सांसदों ने नाराज़गी जताई—इससे स्पष्ट है कि अमेरिकी प्रशासन ने पारदर्शिता में कमी कर दी, और ब्रीफिंग स्थगित कर दी गई थी ।
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इस घटना से यह सवाल खड़ा होता है कि बमों से भूमिगत सुविधाओं को पूरी तरह समाप्त करना संभव नहीं, और साथ ही यह भी संदेह होता है कि क्या डिप्लोमेटिक प्रयास अधिक प्रभावी विकल्प नहीं हो सकते।
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साइन्स विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि ईरान नयी सुविधा बनाए या मौजूदा को तेजी से पुनःजागृत करे, तो यह भविष्य में परमाणु प्रसार के जोखिम को बढ़ा देगा ।
ट्रम्प के "पूरी तरह तबाह" करने वाले दावों के विपरीत, वास्तविक भारी हमलों ने परमाणु बुनियाद को डिगाया तो किया, लेकिन निष्क्रिय नहीं किया—विशेषज्ञ यह मान रहे हैं कि ईरानी परमाणु कार्यक्रम को केवल कुछ महीनों का ही अंतराल दिया गया, जिसका असर सीमित है। रणनीतिक रूप से यह एक चेतावनी संकेत रहा, लेकिन नतीजे की व्यावहारिकता सवालों में घिरी हुई है।