मध्य पूर्व में एक बार फिर तनाव चरम पर है। ईरान द्वारा हाल ही में अमेरिकी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाते हुए किए गए मिसाइल हमलों के बाद देश के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने दो टूक शब्दों में कहा है कि "ईरान न तो डरता है और न ही आत्मसमर्पण करने वाला राष्ट्र है।" उनका यह बयान न केवल ईरान की आंतरिक एकता को दिखाता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर एक स्पष्ट संदेश भी देता है कि तेहरान अब रक्षात्मक नहीं, बल्कि आक्रामक कूटनीति की ओर बढ़ रहा है।
क्या है पूरा मामला?
पिछले सप्ताह सीरिया और इराक की सीमा पर स्थित दो अमेरिकी ठिकानों पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए गए। इन हमलों की ज़िम्मेदारी प्रत्यक्ष रूप से किसी संगठन ने नहीं ली, लेकिन अमेरिका का आरोप है कि इसमें ईरान समर्थित मिलिशियाओं का हाथ है। जवाब में अमेरिका ने भी सीमित हवाई कार्रवाई की है। इसी घटनाक्रम के बीच अयातुल्ला खामेनेई का यह बयान सामने आया है, जो काफी सख्त और मुखर है।
खामेनेई का सख्त संदेश
तेहरान में एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए अयातुल्ला खामेनेई ने कहा,
“ईरान सदियों से स्वतंत्र और स्वाभिमानी राष्ट्र रहा है। हम पर दबाव बनाकर या हमें धमकाकर झुकाया नहीं जा सकता। हमारी जनता और हमारी सेना किसी भी हमले का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है।”
उन्होंने आगे यह भी कहा कि पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका की नीति हमेशा से दोहरे मापदंडों पर आधारित रही है, लेकिन ईरान अब उनके झांसे में आने वाला नहीं है।
अमेरिका-ईरान रिश्तों में नई तल्ख़ी
हाल के वर्षों में अमेरिका और ईरान के बीच संबंध पहले से ही तनावपूर्ण बने हुए हैं। 2018 में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ईरान परमाणु समझौते (JCPOA) से बाहर निकलने के बाद हालात और बिगड़े। अब जबकि ईरान लगातार अपने परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ा रहा है और पश्चिमी देशों के खिलाफ तीखा रुख अपनाए हुए है, इस तरह के मिसाइल हमलों से क्षेत्रीय स्थिरता को गहरा झटका लगा है।
वैश्विक प्रतिक्रिया
अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस पूरे घटनाक्रम पर चिंता जताई है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की है, जबकि रूस और चीन ने अप्रत्यक्ष रूप से ईरान के रुख का समर्थन किया है। वहीं, अमेरिका ने दोहराया है कि वह अपने सैनिकों की सुरक्षा को लेकर कोई समझौता नहीं करेगा।