21 जून 2025 को अमेरिका ने ईरान पर अब तक का सबसे आक्रामक सैन्य हमला करते हुए उसके तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया। यह हमला इज़राइल और ईरान के बीच जारी संघर्ष के बीच हुआ, लेकिन इसका असर पूरे मध्य-पूर्व क्षेत्र पर महसूस किया जा रहा है।
💥 हमले की प्रकृति और रणनीति
अमेरिकी सेना ने "Operation Final Threshold" के तहत अपने B-2 स्टील्थ बमवर्षकों और टॉमहॉक क्रूज़ मिसाइलों का इस्तेमाल करते हुए ईरान के नतांज़, फोर्डो और इस्फाहान स्थित संवेदनशील परमाणु स्थलों को निशाना बनाया। अमेरिकी रक्षा विभाग के अनुसार, इन हमलों का उद्देश्य ईरान की यूरेनियम संवर्धन क्षमता को लंबे समय तक निष्क्रिय करना था।
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह हमला बेहद सटीक और योजनाबद्ध था। बंकर-बस्टिंग बमों का उपयोग करके भूमिगत परमाणु लैब्स को गहरे भीतर से ध्वस्त किया गया। इससे ईरान की परमाणु प्रगति को गंभीर झटका लगा है।
🧪 परमाणु कार्यक्रम को झटका
ईरान की परमाणु एजेंसी के प्रवक्ता ने पुष्टि की कि इस हमले में उसके तीनों प्रमुख संवर्धन केंद्र पूरी तरह निष्क्रिय हो गए हैं। कई वैज्ञानिकों और तकनीशियनों की मृत्यु भी हुई है, हालांकि सटीक आंकड़े अभी सामने नहीं आए हैं। अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने भी नुकसान की पुष्टि करते हुए चिंता जताई है कि यह हमला क्षेत्रीय शांति को स्थायी नुकसान पहुंचा सकता है।
🩸 मानवीय क्षति और प्रतिक्रिया
हमले में अब तक करीब 200 से अधिक लोगों की मौत और 500 से ज्यादा लोगों के घायल होने की खबर है। अधिकांश मृतक इन ठिकानों में कार्यरत कर्मचारी थे। कई रिहायशी इलाकों में भी बमबारी की आंशिक चपेट आई, जिससे आम नागरिकों के बीच दहशत फैल गई।
ईरानी सरकार ने इसे "युद्ध की खुली घोषणा" करार दिया है और अमेरिका को "बहुत गंभीर परिणामों" की चेतावनी दी है। वहीं, देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं और सेना को हाई अलर्ट पर रखा गया है।
🌍 वैश्विक प्रतिक्रिया और चिंता
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाई गई है, जहां रूस, चीन और फ्रांस ने अमेरिका के एकतरफा कदम की आलोचना की है। यूरोपीय संघ ने इस हमले को "खतरनाक मिसाल" बताया है जो पूरे क्षेत्र को युद्ध की आग में झोंक सकता है।
अमेरिका ने अपने कदम का बचाव करते हुए कहा है कि ईरान ने अंतरराष्ट्रीय समझौतों का उल्लंघन कर गुप्त रूप से परमाणु हथियार बनाने की कोशिश की, जिससे यह कार्रवाई अनिवार्य हो गई थी।
ईरान पर अमेरिका का यह हमला ना केवल उस देश की परमाणु महत्वाकांक्षाओं को गहरा आघात पहुंचाने वाला है, बल्कि यह समूचे मध्य-पूर्व को एक नए भू-राजनीतिक संकट की ओर धकेल सकता है। आने वाले दिनों में स्थिति और विस्फोटक हो सकती है, जब तक कोई प्रभावी कूटनीतिक समाधान सामने नहीं आता।