अमेरिका और रूस के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंचता दिखाई दे रहा है। ताजा विवाद की वजह बनी है रूस की सीमाओं के पास अमेरिका की परमाणु पनडुब्बियों की संभावित तैनाती और उस पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के एक करीबी सलाहकार की तीखी प्रतिक्रिया। इस बयान ने अमेरिकी राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है, खासकर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस मुद्दे पर तीखा रुख अपनाया है।
क्या है पूरा मामला?
हाल ही में अमेरिकी रक्षा विभाग के एक रणनीतिक दस्तावेज में सुझाव दिया गया था कि अमेरिका अपनी परमाणु पनडुब्बियों की उपस्थिति यूरोपीय जलक्षेत्र में बढ़ा सकता है, जिससे रूस की गतिविधियों पर दबाव बनाया जा सके। रिपोर्ट में खासतौर पर बाल्टिक सागर और उत्तरी अटलांटिक क्षेत्र का उल्लेख किया गया है, जहां अमेरिकी नौसेना की उपस्थिति रणनीतिक रूप से अहम मानी जाती है।
इस पर पुतिन के करीबी माने जाने वाले रूसी सुरक्षा परिषद के सदस्य निकोलाई पेत्रुशेव ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर अमेरिका रूस की सीमाओं के पास परमाणु हथियारों से लैस पनडुब्बियां तैनात करता है, तो रूस इसका जवाब "अपेक्षा से कहीं अधिक तीव्रता" से देगा।
ट्रंप की प्रतिक्रिया: ‘यह सीधी उकसावे की कार्रवाई’
इस बयान के बाद पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस और बाइडेन प्रशासन दोनों पर निशाना साधा। ट्रंप ने कहा कि "बाइडेन सरकार की कमजोरी और भ्रमित विदेश नीति के चलते अमेरिका अब परमाणु युद्ध जैसे खतरों के करीब पहुंच रहा है। रूस के खिलाफ इस तरह की उकसावे वाली रणनीति वैश्विक शांति के लिए ख़तरनाक है।"
ट्रंप ने अपने एक बयान में यह भी कहा कि यदि वह फिर से राष्ट्रपति बनते हैं, तो "रूस और अमेरिका के बीच सीधा संवाद स्थापित कर परमाणु तनाव को टालने के लिए निर्णायक कदम उठाएंगे।"
रूस की आक्रामक चेतावनी
रूसी रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका की किसी भी आक्रामक तैनाती का जवाब रूस देने को पूरी तरह तैयार है। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि रूस क्यूबा और वेनेजुएला जैसे देशों में सैन्य सहयोग बढ़ा सकता है ताकि अमेरिका पर रणनीतिक दबाव बनाया जा सके।
वैश्विक प्रतिक्रिया
इस घटनाक्रम पर NATO और संयुक्त राष्ट्र ने भी नजर बनाई हुई है। यूरोपीय संघ ने संयम बरतने की अपील की है और किसी भी तरह की सैन्य टकराव से बचने को प्राथमिकता देने का आग्रह किया है।