रूस के सुदूर पूर्वी क्षेत्र में मंगलवार देर रात एक भीषण भूकंप ने ज़मीन हिला दी। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 8.8 मापी गई, जो इसे हाल के वर्षों का सबसे शक्तिशाली भूकंप बनाता है। इस भूकंप का केंद्र कामचात्का प्रायद्वीप के पास बताया गया है, जो भूकंपीय दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है।
भूकंप का झटका इतना तीव्र था कि रूस के कई पूर्वी शहरों में इमारतें हिल गईं और लोग घबराकर सड़कों पर निकल आए। हालांकि अब तक किसी बड़ी जनहानि की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन प्रशासन और आपदा प्रबंधन एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं।
अमेरिका में भी अलर्ट
रूस में इस बड़े भूकंप के बाद अमेरिकी भूगर्भ वैज्ञानिकों और मौसम विभाग ने भी सतर्कता बढ़ा दी है। अमेरिकी वेस्ट कोस्ट, विशेषकर अलास्का और हवाई द्वीप में भूकंप और सुनामी की आशंका को देखते हुए निगरानी बढ़ा दी गई है। अमेरिकी मौसम एजेंसी (NOAA) ने स्पष्ट किया है कि "हालात को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। इस तरह के बड़े झटकों के बाद अक्सर द्वितीयक झटके या समुद्री लहरों (सुनामी) का खतरा बढ़ जाता है।"
कामचात्का क्षेत्र में भारी नुकसान की आशंका
रूस के कामचात्का क्षेत्र में कई जगह संचार सेवाएं बाधित हुई हैं। कुछ क्षेत्रों से बिजली गुल होने और सड़कों पर दरारें पड़ने की खबरें भी आ रही हैं। आपदा राहत दल हेलीकॉप्टरों और अन्य वाहनों की मदद से प्रभावित इलाकों में पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। रूस सरकार ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन बल को तत्काल तैनात कर दिया है।
वैज्ञानिकों की चेतावनी
भूकंप विशेषज्ञों के अनुसार, टेक्टोनिक प्लेट्स की सक्रियता इस क्षेत्र में पहले से ही अधिक रही है। पिछले कुछ महीनों में छोटी तीव्रता के कई झटके पहले भी दर्ज किए गए थे, लेकिन इस बार का भूकंप एक बड़े टेक्टोनिक बदलाव का संकेत हो सकता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगले कुछ दिनों तक क्षेत्र में आफ्टरशॉक्स (मामूली भूकंप) आने की संभावना बनी हुई है।
राजनीतिक और वैश्विक असर
इस प्राकृतिक आपदा का प्रभाव सिर्फ रूस तक सीमित नहीं रहेगा। अमेरिका और जापान जैसे देशों ने समुद्री मार्गों और नौसेना संचालन में बदलाव करना शुरू कर दिया है। वैश्विक ऊर्जा बाज़ार पर भी इसका असर पड़ सकता है, क्योंकि रूस के सुदूर पूर्वी क्षेत्र में प्राकृतिक गैस और तेल पाइपलाइनों का जाल फैला हुआ है।
भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाएं कभी भी सीमाएं नहीं देखतीं। रूस में आया यह झटका एक चेतावनी है कि पृथ्वी की गहराइयों में हो रही हलचलों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। दुनिया भर की सरकारों और एजेंसियों को मिलकर न केवल राहत बल्कि भविष्य की तैयारी पर भी ध्यान केंद्रित करना होगा।