ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद जहां देशभर में सेना की सराहना हो रही है, वहीं कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने सरकार से यह सवाल उठाया कि जब भारतीय सेना ने 100 से अधिक आतंकियों को ढेर किया और आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद किया, तो इस अभियान में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) को क्यों नहीं वापस लिया गया?
राज्यसभा में मंगलवार को इसी मुद्दे पर कांग्रेस सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जवाब तलब किया। जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने बेहद सधी और स्पष्ट भाषा में कहा, "देश को भावनाओं से नहीं, रणनीति और संयम से चलाया जाता है। हम हर कदम फूंक-फूंक कर रखते हैं, क्योंकि भारत की सुरक्षा, वैश्विक छवि और रणनीतिक लक्ष्य एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।"
पीएम मोदी ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य सीमापार सक्रिय आतंकी नेटवर्क को समाप्त करना था और वह पूरी तरह सफल रहा। उन्होंने कहा, "जो लोग PoK की बात कर रहे हैं, उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि भारत की संसद पहले ही 1994 में प्रस्ताव पारित कर PoK को भारत का अभिन्न हिस्सा घोषित कर चुकी है। यह हमारी ज़मीन है और सही समय पर सही निर्णय लिया जाएगा।"
'देश की सेना को राजनीतिक बहस में मत घसीटो'
प्रधानमंत्री ने विपक्ष को यह भी नसीहत दी कि सेना की कार्रवाई को राजनीतिक चश्मे से देखना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा, "ऑपरेशन सिंदूर सेना की कुशलता, पराक्रम और सूझबूझ का प्रतीक है। इसे राजनीतिक बहसों में घसीटना हमारे जवानों के मनोबल के खिलाफ है।"
विपक्ष का आरोप, सरकार की रणनीति अधूरी
कांग्रेस ने अपने बयान में कहा कि अगर भारत के पास PoK में घुसकर हमला करने की ताकत है, तो फिर उसे वापस लेने से कौन रोक रहा है? पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि सरकार सिर्फ "आधा सच" पेश कर रही है और लोगों को भ्रमित कर रही है।
भले ही सरकार ने PoK को लेकर कोई ठोस समयसीमा घोषित नहीं की है, लेकिन पीएम मोदी के बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि रणनीति के तहत काम हो रहा है और आने वाले समय में कोई बड़ा कदम भी सामने आ सकता है।