मुंबई के प्रसिद्ध गणेशोत्सव का समापन सोमवार को लालबाग के राजा के विसर्जन के साथ हुआ। हजारों भक्तों की मौजूदगी में यह भव्य शोभायात्रा निकली, लेकिन समुद्र में ऊंची लहरों और खराब मौसम के कारण विसर्जन में काफी देरी हुई। सुरक्षा के कड़े इंतजामों के बावजूद महाराष्ट्र के कई जिलों से डूबने की दुखद घटनाएं सामने आईं, जिनमें चार लोगों की मौत हो गई जबकि 13 अब भी लापता बताए जा रहे हैं।
मुंबई में श्रद्धा और सावधानी
मुंबई का लालबाग का राजा न केवल शहर बल्कि पूरे देश में आस्था का केंद्र माना जाता है। विसर्जन यात्रा रविवार रात से शुरू होकर सोमवार देर शाम तक चली। भारी बारिश और ऊंची लहरों के कारण पुलिस और आपदा प्रबंधन दल को सुरक्षा सुनिश्चित करने में अतिरिक्त प्रयास करने पड़े। भीड़ को नियंत्रित करने और भक्तों को सुरक्षित दूरी बनाए रखने के लिए जगह-जगह बैरिकेड लगाए गए।
हादसों की छाया
गणेश विसर्जन के अवसर पर महाराष्ट्र के ठाणे, पालघर, पुणे और रत्नागिरी जिलों से हादसों की खबरें आईं। ठाणे में दो युवक समुद्र की लहरों में बह गए, जबकि पुणे में नदी किनारे विसर्जन के दौरान एक किशोर डूब गया। रत्नागिरी में भी एक व्यक्ति की मौत की पुष्टि हुई है। राज्य आपदा नियंत्रण कक्ष के अनुसार 13 लोग अब भी लापता हैं और उनकी तलाश तेज कर दी गई है।
प्रशासन की अपील
सरकार और पुलिस प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे बिना सुरक्षा इंतजाम के नदियों और समुद्र में विसर्जन के लिए न उतरें। NDRF और कोस्ट गार्ड की टीमों को तटीय इलाकों में तैनात किया गया है। इसके अलावा कई जगह कृत्रिम तालाबों और टैंकों में भी गणेश मूर्तियों के विसर्जन की व्यवस्था की गई है ताकि हादसों पर काबू पाया जा सके।
श्रद्धा और जिम्मेदारी
गणेशोत्सव महाराष्ट्र की पहचान और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। लालबाग के राजा के विसर्जन के साथ ही यह पर्व समाप्त हो जाता है। लेकिन इस बार श्रद्धा के साथ चिंता भी जुड़ी रही। हादसों ने प्रशासन को एक बार फिर सोचने पर मजबूर किया है कि धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा मानकों को और सख्ती से लागू किया जाए।
लालबाग के राजा का विसर्जन इस बार भले ही ऊंची लहरों और हादसों की वजह से सुर्खियों में रहा हो, लेकिन लाखों भक्तों की आस्था और भक्ति की गूंज ने पूरे महाराष्ट्र को एकजुट कर दिया। अब चुनौती यह है कि भविष्य में श्रद्धा और सुरक्षा दोनों का संतुलन कैसे बनाए रखा जाए।