रूस-यूक्रेन युद्ध एक बार फिर निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने हाल ही में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को शांति वार्ता के लिए बुलाया, लेकिन इसके जवाब में रूस ने यूक्रेन के कई शहरों पर हवाई हमले कर दिए। साथ ही, मास्को ने सीमा क्षेत्रों में 7 लाख अतिरिक्त सैनिक तैनात करने और ड्रोन उत्पादन तेज करने का ऐलान किया है।
सूत्रों के मुताबिक, रूस ने दावा किया है कि यह हमला यूक्रेन द्वारा सीमा पर की जा रही "उकसाने वाली कार्रवाइयों" का जवाब है। वहीं, यूक्रेन सरकार का कहना है कि रूस बातचीत की बजाय युद्ध को और लंबा खींचना चाहता है। हवाई हमलों में कीव, खारकीव और ओडेसा जैसे शहर प्रभावित हुए हैं। स्थानीय प्रशासन के अनुसार, कई आवासीय इमारतों और बिजली ढांचे को नुकसान पहुंचा है।
रूस ने न केवल हवाई हमले तेज किए हैं बल्कि अपने ड्रोन बेड़े के उत्पादन को भी दोगुना करने की योजना बनाई है। मॉस्को का कहना है कि आधुनिक तकनीक और स्वदेशी उत्पादन से उसे युद्ध में बढ़त मिलेगी। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, रूस का यह कदम संकेत देता है कि वह लंबी लड़ाई के लिए खुद को तैयार कर रहा है।
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील करते हुए कहा कि रूस शांति की हर पहल को विफल करना चाहता है। उन्होंने अमेरिका और यूरोपीय देशों से सैन्य व वित्तीय मदद बढ़ाने की मांग की है। पश्चिमी देशों ने रूस की कार्रवाई की निंदा करते हुए इसे "संवाद से भागने की रणनीति" बताया है।
रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि रूस की ओर से 7 लाख सैनिकों की तैनाती और ड्रोन उत्पादन में तेजी यह स्पष्ट करता है कि मास्को किसी भी तरह पीछे हटने के मूड में नहीं है। दूसरी ओर, यूक्रेन की सेना भी पश्चिमी हथियारों और तकनीक के सहारे प्रतिरोध जारी रखे हुए है।
इस घटनाक्रम ने नाटो देशों की चिंताओं को भी बढ़ा दिया है। नाटो ने कहा है कि अगर युद्ध इसी तरह बढ़ता रहा तो यूरोप की सुरक्षा पर गंभीर खतरे मंडराने लगेंगे। वहीं, संयुक्त राष्ट्र ने दोनों पक्षों से संयम बरतने और तत्काल संघर्षविराम पर विचार करने का आग्रह किया है।
कुल मिलाकर, जेलेंस्की की बातचीत की पेशकश और रूस की जवाबी कार्रवाई ने यह साफ कर दिया है कि फिलहाल शांति की राह बेहद कठिन है। युद्ध न केवल यूक्रेन की धरती को तबाह कर रहा है बल्कि वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति, खाद्य सुरक्षा और यूरोप की स्थिरता पर भी गहरा असर डाल रहा है।