देशभर में आज लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा पूरे उल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। उत्तर भारत के कई राज्यों — बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब और हरियाणा — में घाटों पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है। व्रती महिलाएं आज सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर अपना 36 घंटे का कठिन निर्जला उपवास पूर्ण करेंगी।
रविवार की शाम डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के बाद से ही घाटों का वातावरण भक्तिमय हो उठा था। महिलाओं ने पारंपरिक परिधान पहनकर ‘छठ मइया’ के गीतों से पूरे माहौल को आस्था से भर दिया। आज प्रातःकाल उगते सूर्य की पहली किरण के साथ ही व्रती महिलाएं जल में खड़ी होकर भगवान सूर्य को अर्घ्य देंगी और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करेंगी।
गंगा, यमुना, सरयू और कोसी जैसी नदियों के घाटों पर विशेष सुरक्षा और स्वच्छता के इंतज़ाम किए गए हैं। प्रशासन ने जलाशयों की सफाई, बैरिकेडिंग, लाइटिंग और मेडिकल सुविधाओं की व्यवस्था की है। कई स्थानों पर एनडीआरएफ और पुलिस बल तैनात किए गए हैं ताकि श्रद्धालुओं को किसी असुविधा का सामना न करना पड़े।
दिल्ली-एनसीआर में यमुना घाट, कालिंदी कुंज, वज़ीराबाद और गीता कॉलोनी जैसे स्थानों पर भक्तों की भीड़ सुबह से ही उमड़ पड़ी है। वहीं पटना, भागलपुर, बनारस, लखनऊ और चंडीगढ़ में भी छठ घाटों को फूलों और रंगीन लाइटों से सजाया गया है।
छठ महापर्व सूर्य देव और छठी मैया की आराधना का प्रतीक है। यह पर्व सूर्य की उपासना के माध्यम से प्रकृति, जल और ऊर्जा के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का प्रतीक माना जाता है। व्रती महिलाएं ‘नहाय-खाय’, ‘खरना’, ‘सांझा अर्घ्य’ और ‘भोरवा अर्घ्य’ की चार प्रमुख विधियों के साथ इस पर्व को पूर्ण करती हैं।
आज उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद महिलाएं प्रसाद के रूप में ठेकुआ, कच्चा दूध, गन्ना और मौसमी फलों का वितरण करेंगी। इसके साथ ही छठ पूजा का यह पवित्र अनुष्ठान संपन्न हो जाएगा।
देशभर के प्रमुख शहरों से लेकर गांवों तक आज “जय छठी मइया” के जयघोष गूंज रहे हैं। यह पर्व केवल आस्था का नहीं, बल्कि परिवार, पर्यावरण और सामाजिक एकता का भी प्रतीक बन गया है।