देशभर में आज छठ महापर्व का समापन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर किया जा रहा है। राजधानी दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत में श्रद्धालु महिलाओं ने भोर से ही नदियों और जलाशयों के किनारे पूजा-अर्चना शुरू कर दी है। परंपरागत लोकगीतों और ‘छठ मइया’ के जयघोषों से वातावरण भक्तिमय हो उठा है।
दिल्ली में इस बार छठ पूजा के लिए करीब 1300 अस्थायी और स्थायी घाटों पर विशेष प्रबंध किए गए हैं। यमुना नदी के तटवर्ती वासुदेव घाट, कालिंदी कुंज, गीता कॉलोनी और मयूर विहार जैसे प्रमुख स्थलों पर हजारों श्रद्धालु अर्घ्य देने पहुंचे हैं। प्रशासन ने सुरक्षा के व्यापक इंतज़ाम किए हैं — एनडीआरएफ, पुलिस और नागरिक सुरक्षा बलों की टीमें घाटों पर तैनात हैं।
सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज सुबह वासुदेव घाट का दौरा कर सकते हैं। वे यहां श्रद्धालुओं से मुलाकात कर छठ पर्व की शुभकामनाएं देंगे। दिल्ली सरकार और नगर निगम ने घाटों की सफाई, लाइटिंग, टेंट और पेयजल जैसी सुविधाओं की विशेष व्यवस्था की है ताकि भक्तों को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
छठ पूजा के चार दिवसीय इस पर्व का आज आखिरी दिन है। रविवार की शाम व्रतियों ने डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा की थी, जबकि आज भोर में उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर 36 घंटे का निर्जला व्रत पूरा किया जा रहा है। महिलाएं परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की दीर्घायु की कामना करती हैं।
पूरे उत्तर भारत में इस अवसर पर आस्था का समुद्र उमड़ पड़ा है। बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब में गंगा-घाटों पर लाखों श्रद्धालु डटे हैं। घाटों पर ‘ठेकुआ’, ‘गन्ना’, ‘दूध’ और ‘फलों’ का प्रसाद तैयार कर सूर्य देव को अर्पित किया जा रहा है।
छठ पूजा न केवल सूर्य की उपासना का पर्व है, बल्कि यह प्रकृति, जल और जीवन के संतुलन का प्रतीक भी है। यह पर्व लोक परंपरा, अनुशासन और सामूहिक आस्था का अनूठा उदाहरण पेश करता है।