बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को हाल ही में दिए गए सजा-ए-मौत के फैसले ने दक्षिण एशिया की राजनीति में तूफान खड़ा कर दिया है। बांग्लादेश की विशेष अदालत ने सत्ता के दुरुपयोग, मानवाधिकार उल्लंघन और भ्रष्टाचार से जुड़े पुराने मामलों में यह कठोर फैसला सुनाया, जिसके बाद देशभर में राजनीतिक तनाव और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता का माहौल पैदा हो गया है। इस बीच, भारत की ओर से यह स्पष्ट कर दिया गया है कि शेख हसीना को किसी भी परिस्थिति में प्रत्यर्पित नहीं किया जाएगा।
सूत्रों के अनुसार, शेख हसीना फिलहाल भारत में सुरक्षित हैं और मानवीय आधार पर भारत ने उन्हें संरक्षण दिया हुआ है। बांग्लादेश सरकार के कुछ प्रतिनिधियों ने हाल के हफ्तों में भारत से उनके प्रत्यर्पण को लेकर अनौपचारिक प्रयास भी किए, लेकिन नई दिल्ली ने यह मांग ठुकरा दी। भारतीय अधिकारियों का कहना है कि हसीना का मामला केवल कानूनी नहीं बल्कि मानवीय और क्षेत्रीय स्थिरता से जुड़ा हुआ है। ऐसे में जल्दबाज़ी में कोई ऐसा कदम उठाना संभव नहीं, जो क्षेत्र की शांति को खतरे में डाले।
कूटनीतिक सूत्र बताते हैं कि भारत बांग्लादेश में बदलते राजनीतिक घटनाक्रम पर करीबी नजर बनाए हुए है। दिल्ली का मानना है कि जिस तरह की परिस्थितियों में यह सजा सुनाई गई है, वह न्यायिक प्रक्रिया की पारदर्शिता को लेकर सवाल खड़े करती है। कई अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने भी निर्णय पर चिंता जताई है और इसे राजनीतिक प्रतिशोध की कार्रवाई बताया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला बांग्लादेश में सत्ता संघर्ष की गहराई और राजनीतिक ध्रुवीकरण को और बढ़ा सकता है।
भारत के लिए शेख हसीना केवल एक पड़ोसी नेता ही नहीं, बल्कि वह राजनेता हैं जिनके कार्यकाल में दोनों देशों के बीच संबंध सबसे मजबूत रहे। सुरक्षा सहयोग, सीमा प्रबंधन, आतंकवाद-रोधी अभियानों और व्यापारिक समझौतों में हसीना ने निर्णायक भूमिका निभाई थी। यही कारण है कि भारत उन्हें तत्काल बांग्लादेश के हवाले करने की स्थिति में नहीं है।
बांग्लादेश की राजनीति इन दिनों उथल-पुथल से गुजर रही है और अदालत के इस आदेश से वहां अस्थिरता और गहराने का खतरा बढ़ गया है। वहीं, भारत का रुख संकेत देता है कि वह क्षेत्रीय शांति, लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और मानवीय मूल्यों को प्राथमिकता देते हुए आगे की रणनीति तय करेगा।
फिलहाल अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस मामले पर बारीकी से नजर रख रहा है, जबकि शेख हसीना की सजा और सुरक्षा को लेकर दक्षिण एशिया में बहस और तेज हो गई है।