चीन ने नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में एक अनोखा प्रयोग करते हुए दुनिया की सबसे बड़ी पतंग (जायंट काइट) तैयार की है, जो हवा की गति और ऊंचाई पर मौजूद तेज हवाओं की ऊर्जा को बिजली में बदलने में सक्षम है। यह तकनीक ‘एयरबोर्न विंड एनर्जी सिस्टम’ (AWES) के सिद्धांत पर आधारित है, जिसमें जमीन पर लगे जनरेटर से जुड़ी एक विशाल पतंग हवा में उड़ती है और उसके खिंचाव से बिजली उत्पन्न होती है। वैज्ञानिकों का दावा है कि यह तकनीक पारंपरिक पवनचक्कियों की तुलना में अधिक कुशल, कम लागत वाली और पर्यावरण के अनुकूल है।
इस परियोजना को चीन की प्रमुख एयरोस्पेस और ऊर्जा कंपनियों ने मिलकर विकसित किया है। पतंग का आकार इतना विशाल है कि इसके पंखों का फैलाव कई दर्जन मीटर तक पहुंचता है और यह 500 मीटर से लेकर 1 किलोमीटर की ऊंचाई तक उड़ सकती है। इस ऊंचाई पर हवाएं स्थिर और अधिक वेग वाली होती हैं, जिससे बिजली उत्पादन की क्षमता कई गुना बढ़ जाती है। इसका मुख्य ढांचा हल्के लेकिन अत्यंत मजबूत कंपोज़िट मटीरियल से बनाया गया है, ताकि यह तेज हवाओं में भी स्थिरता बनाए रख सके।
तकनीक की कार्यप्रणाली बेहद रोचक है—पतंग जब हवा में ऊपर उठती है, तो उससे जुड़ी डोर जमीन पर स्थित ड्राइव सिस्टम को खींचती है। यह ड्राइव सिस्टम टर्बाइन को घुमाता है और बिजली का उत्पादन करता है। जब पतंग अपनी अधिकतम ऊंचाई पर पहुंच जाती है, तो उसे स्वचालित रूप से नीचे लाया जाता है, डोर ढीली की जाती है और फिर दोबारा हवा के सहारे ऊपर भेज दिया जाता है। यह ‘लूपिंग सिस्टम’ लगातार चलता रहता है, जिससे बिना रुकावट बिजली पैदा होती रहती है।
चीन की इस विशालकाय पतंग का परीक्षण हाल ही में सफलतापूर्वक किया गया, जिसमें यह निरंतर कई घंटों तक हवा में उड़ती रही और अपेक्षा से अधिक बिजली उत्पन्न की। शोधकर्ताओं का कहना है कि यदि इस तकनीक का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाए, तो यह सौर और पवन ऊर्जा के विकल्प के रूप में उभर सकती है। खास बात यह है कि इसे ऊंचे टावर, भारी मशीनरी या बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर की जरूरत नहीं पड़ती, जिससे लागत लगभग 40–50% कम हो जाती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह तकनीक उन क्षेत्रों के लिए बेहद उपयोगी होगी जहां पारंपरिक पवन टर्बाइन लगाना मुश्किल है, जैसे पहाड़ी इलाके, समुद्री तट, रेगिस्तानी क्षेत्र और दूरदराज के द्वीप। इसके डिप्लॉयमेंट में भी ज्यादा समय नहीं लगता, जिससे आपात स्थितियों या अस्थायी ऊर्जा जरूरतों के लिए भी इसका उपयोग किया जा सकता है।
चीन के इस नवाचार को वैश्विक ऊर्जा बाजार में गेम चेंजर माना जा रहा है। दुनिया भर में कई देश पहले ही इस तकनीक पर रिसर्च कर रहे थे, लेकिन चीन का यह प्रोटोटाइप अब तक का सबसे बड़ा और सबसे उन्नत माना जा रहा है। आने वाले समय में यह साफ ऊर्जा के क्षेत्र में एक पूरी तरह नया अध्याय खोल सकता है, जहां आसमान में उड़ती पतंगें धरती पर रोशनी बिखेरेंगी।