दिल्ली-NCR एक बार फिर गंभीर वायु प्रदूषण की चपेट में है। पिछले नौ दिनों से क्षेत्र में हवा की गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर बनी हुई है और गुरुवार को औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 450 के पार पहुंच गया। कई इलाकों में यह स्तर 480 से 500 के आसपास दर्ज किया गया, जो स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार ‘गंभीर प्लस’ श्रेणी में आता है। लगातार छाई स्मॉग की मोटी परत ने दृश्यता को भी प्रभावित किया है, जिससे आमजन को आवागमन में भारी दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं।
सफदरजंग, आनंद विहार, जहांगीरपुरी, बवाना और गाज़ियाबाद के इंदिरापुरम जैसे क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर सबसे अधिक दर्ज किया गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, हवा में PM2.5 का स्तर सुरक्षित सीमा से 8 से 10 गुना अधिक पहुंच चुका है। विशेषज्ञों का कहना है कि सांस के साथ शरीर में प्रवेश करने वाले सूक्ष्म कण फेफड़ों, हृदय और मस्तिष्क पर सीधा असर डालते हैं, और संवेदनशील समूह—बच्चे, बुजुर्ग तथा अस्थमा के मरीज—इसके सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं।
विशेषज्ञों ने इस बढ़ते प्रदूषण के लिए स्थानीय उत्सर्जन, वाहन धुआं, औद्योगिक कचरा, निर्माण धूल और पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं को संयुक्त कारण बताया है। हालांकि पराली जलाने की घटनाओं में पिछले सप्ताह मामूली कमी दर्ज की गई है, लेकिन उत्तर-पश्चिमी हवाओं के धीमे चलने के कारण प्रदूषक तत्व वातावरण में फंसे हुए हैं। मौसम विभाग के अनुसार, हवा की रफ्तार कम होने और नमी बढ़ने से स्मॉग की परत जमीन के पास जमा हो रही है, जिससे प्रदूषण और घना महसूस हो रहा है।
दिल्ली सरकार ने बढ़ते खतरे को देखते हुए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के अंतिम चरण को लागू कर दिया है। राजधानी में निर्माण कार्यों पर रोक, डीज़ल जनरेटर बंद, ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध और स्कूलों में प्रदूषण-रोधी उपाय बढ़ाने जैसे निर्देश जारी किए गए हैं। निजी वाहनों की संख्या कम करने के लिए कार्यालयों को वर्क-फ्रॉम-होम विकल्प अपनाने की सलाह भी दी गई है।
आरएमएल अस्पताल और सफदरजंग अस्पताल में पिछले चार दिनों में सांस संबंधी शिकायतों वाले मरीजों की संख्या में 30% तक वृद्धि दर्ज की गई है। डॉक्टरों का कहना है कि प्रदूषण के कारण आंखों में जलन, गले में खराश, सीने में जकड़न और एलर्जी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक अगले 48 घंटे तक राहत की उम्मीद कम है। हवा की रफ्तार बढ़ने और हल्की बारिश होने पर ही प्रदूषण में कमी आ सकती है। फिलहाल राजधानी के लोग हर दिन जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं।