बिहार की राजनीति एक बार फिर ऐतिहासिक क्षण की ओर बढ़ रही है। नीतीश कुमार आज 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं। इस अभूतपूर्व राजनीतिक सफर ने उन्हें देश के उन चुनिंदा नेताओं में शामिल कर दिया है, जिन्होंने सबसे अधिक बार मुख्यमंत्री पद संभाला है। जेडीयू, बीजेपी और सहयोगी दलों के समर्थन से बनने वाली नई सरकार आज शपथ लेकर आधिकारिक रूप से कार्यभार संभाल लेगी।
नीतीश कुमार का यह कार्यकाल कई मायनों में खास माना जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में बदलते राजनीतिक समीकरणों, गठबंधन की राजनीति और राज्य की विकास प्राथमिकताओं के बीच वे लगातार सत्ता में बने रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि नीतीश का यह नया कार्यकाल बिहार में प्रशासनिक स्थिरता और विकास एजेंडे को आगे बढ़ाने के मकसद से महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
शपथ ग्रहण समारोह पटना में राजभवन में आयोजित किया जा रहा है, जिसमें राज्यपाल नीतीश कुमार को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाएंगे। कार्यक्रम में बीजेपी, जेडीयू और अन्य सहयोगी दलों के प्रमुख नेता मौजूद रहेंगे। माना जा रहा है कि शपथ के तुरंत बाद मंत्रिमंडल का विस्तार भी चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा। कई नए चेहरों को शामिल किए जाने की संभावना है।
नीतीश कुमार के समर्थकों का कहना है कि राज्य में विधि-व्यवस्था में सुधार, बेरोजगारी, शिक्षा व्यवस्था और स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने पर नई सरकार विशेष ध्यान देगी। वहीं विपक्ष का आरोप है कि लगातार बदलते राजनीतिक रुख ने राज्य की राजनीति को अस्थिर किया है। विपक्षी दलों ने यह भी कहा है कि जनता अब ठोस और दृश्यमान सुधार की उम्मीद कर रही है।
विशेषज्ञों के अनुसार, बिहार में इंफ्रास्ट्रक्चर, उद्योगों में निवेश और कृषि क्षेत्र के आधुनिकीकरण जैसी चुनौतियाँ नई सरकार के सामने प्राथमिकता के रूप में होंगी। केंद्र और राज्य के बीच सहयोग से बड़े विकास प्रोजेक्ट्स को गति मिलने की उम्मीद है।
राजनीतिक हलकों में यह चर्चा भी तेज है कि नीतीश कुमार का यह कार्यकाल उनकी प्रशासनिक छवि को और मजबूत करेगा या नहीं। उनकी पहचान एक अनुभवी, व्यावहारिक और गठबंधन राजनीति में कुशल नेता की रही है, और 10वीं बार सत्ता में लौटना इस छवि को और गहरा करता है।
आज का शपथ ग्रहण समारोह बिहार की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ देगा, जहाँ नीतीश कुमार एक बार फिर राज्य का नेतृत्व संभालने जा रहे हैं।