दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण, अचानक गिरता तापमान और मौसमी संक्रमणों के तेज़ प्रसार ने हालात को हेल्थ इमरजेंसी जैसा बना दिया है। राजधानी के प्रमुख अस्पतालों में बीते एक सप्ताह के भीतर मरीजों की संख्या में तेज़ बढ़ोतरी दर्ज की गई है। खासतौर पर बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, वायरल संक्रमण, निमोनिया, दमा और एलर्जी से परेशान लोग बड़ी संख्या में अस्पताल पहुँच रहे हैं।
एम्स, सफदरजंग, आरएमएल जैसे बड़े अस्पतालों में ओपीडी का दबाव 30–40% तक बढ़ गया है। कई मरीजों को आपातकालीन वार्ड तक में भर्ती करना पड़ रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि हवा की गुणवत्ता लगातार ‘बेहद खराब’ और ‘गंभीर’ श्रेणी में रहने के कारण लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो रही है। ऐसे में एक साथ कई बीमारियों के कॉम्बिनेशन देखने को मिल रहे हैं।
एम्स के विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस मौसम में “ड्यूल इंफेक्शन” और “ट्रिपल इंफेक्शन” के मामले तेजी से बढ़ सकते हैं। डॉक्टरों के अनुसार, प्रदूषण के कण फेफड़ों में सूजन पैदा कर रहे हैं, जिससे वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण जल्दी पकड़ बना रहे हैं। कई मरीजों में प्रदूषण-जनित एलर्जी, वायरल फीवर और दमा—इन तीनों का एक साथ असर देखा जा रहा है। यह स्थिति खासतौर पर बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा तथा सीओपीडी से पीड़ित लोगों के लिए गंभीर हो सकती है।
बाल रोग विशेषज्ञों ने बताया कि बच्चों में तेज़ बुखार, खांसी और सांस की दिक्कत के मामले अचानक बढ़े हैं। कई स्कूलों में उपस्थिति 20–30% तक घट गई है। डॉक्टरों ने अभिभावकों को सलाह दी है कि बच्चों को खुले में ज्यादा समय न बिताने दें और बाहर निकलते समय मास्क पहनाना अनिवार्य करें।
फेफड़ों के रोग विशेषज्ञों ने कहा है कि हवा में मौजूद पीएम 2.5 और पीएम 10 के उच्च स्तर से हृदय रोगियों के लिए भी जोखिम बढ़ गया है। हृदय गति बढ़ना, सीने में दर्द और ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव जैसे लक्षण आम हो रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि इस समय लापरवाही भारी पड़ सकती है।
स्वास्थ्य विभाग ने भी दिल्लीवासियों को सावधानी बरतने की सलाह दी है। विशेषज्ञों ने मास्क का नियमित उपयोग, घरेलू वेंटिलेशन को बेहतर बनाने, पानी ज्यादा पीने, बाहर के तले-भुने भोजन से परहेज और हल्के व्यायाम को अपनाने पर जोर दिया है।
लगातार बढ़ती बीमारियों और अस्पतालों में बढ़ते दबाव को देखते हुए डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि अगर प्रदूषण और मौसम की स्थिति ऐसी ही बनी रही, तो आने वाले दिनों में स्वास्थ्य संकट और गहरा सकता है।