जारी स्विस आधारित वायु गुणवत्ता निगरानी संस्था IQAir की ताज़ा रिपोर्ट ने एक बार फिर देश की राजधानी दिल्ली के लिए गंभीर चेतावनी दी है। रिपोर्ट के अनुसार, औसत PM2.5 स्तर के आधार पर दिल्ली को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर घोषित किया गया है। सर्दियों की शुरुआत के साथ ही राजधानी की हवा एक बार फिर “गंभीर” श्रेणी में पहुंच गई, जिससे आम जनजीवन, स्वास्थ्य व्यवस्था और पर्यावरण नीति पर कई सवाल खड़े हो गए हैं।
IQAir रिपोर्ट बताती है कि दिल्ली में PM2.5 का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की निर्धारित सुरक्षित सीमा से कई गुना अधिक दर्ज किया गया। वाहनों से निकलने वाला धुआं, निर्माण गतिविधियां, औद्योगिक उत्सर्जन, पराली जलाना और प्रतिकूल मौसमीय स्थितियां मिलकर इस स्थिति को और भयावह बना रही हैं। नवंबर-दिसंबर के महीनों में कम हवा की गति और तापमान में गिरावट के कारण प्रदूषक कण वातावरण में लंबे समय तक टिके रहते हैं, जिससे स्मॉग की समस्या गहराती है।
रिपोर्ट में पाकिस्तान के दो शहर—लाहौर और कराची भी अत्यधिक प्रदूषित शहरों की वैश्विक सूची में नीचे के पायदानों पर दर्ज किए गए हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि दक्षिण एशिया वायु प्रदूषण संकट का साझा केंद्र बनता जा रहा है। सीमापार प्रदूषण, तेज़ी से होता शहरीकरण और कमजोर पर्यावरणीय अनुपालन इस पूरे क्षेत्र के लिए चुनौती बने हुए हैं।
दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण केवल एक पर्यावरणीय मुद्दा नहीं, बल्कि यह सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल का रूप ले चुका है। डॉक्टरों के अनुसार, बच्चों, बुजुर्गों और सांस संबंधी बीमारियों से ग्रसित लोगों में जोखिम कई गुना बढ़ जाता है। आंखों में जलन, सांस लेने में तकलीफ, दमा और हृदय रोगों के मामलों में हर साल इजाफा देखा जा रहा है।
हालांकि सरकार की ओर से GRAP, ऑड-ईवन योजना, निर्माण पर रोक और सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने जैसे कदम उठाए जाते रहे हैं, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि ये उपाय अल्पकालिक हैं। जरूरत दीर्घकालिक और समन्वित रणनीति की है—जिसमें स्वच्छ ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहनों का विस्तार, पराली प्रबंधन, हरित क्षेत्र बढ़ाना और सख्त निगरानी शामिल हो।
IQAir की यह रिपोर्ट एक बार फिर चेतावनी है कि अगर नीतियों और व्यवहार में ठोस बदलाव नहीं हुए, तो दिल्ली की हवा आने वाले वर्षों में और भी घातक साबित हो सकती है।