वीर बाल दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए इतिहास, युवा शक्ति और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को एक सूत्र में पिरोया। उन्होंने कहा कि भारत को अब “गुलामी की सोच” से पूरी तरह आज़ाद होकर आगे बढ़ना होगा और इस बदलाव की सबसे बड़ी ताकत देश की Gen-Z है, जिसके हुनर, नवाचार और आत्मविश्वास पर सरकार को पूरा भरोसा है।
प्रधानमंत्री ने वीर बाल दिवस को सिर्फ एक स्मृति दिवस नहीं, बल्कि प्रेरणा का स्रोत बताया। उन्होंने गुरु गोबिंद सिंह के साहिबजादों—बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह—के अद्भुत साहस और बलिदान को याद करते हुए कहा कि इतनी कम उम्र में देश और धर्म के लिए दिया गया बलिदान भारत की आत्मा को आज भी दिशा देता है। पीएम मोदी ने कहा कि इन वीर बालकों का जीवन हमें सिखाता है कि सच्चाई और आत्मसम्मान के लिए उम्र कभी बाधा नहीं बनती।
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने मानसिक गुलामी की बात पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि लंबे समय तक भारत की सोच पर पराधीनता की छाया रही, जिससे आत्मविश्वास कमजोर हुआ। अब समय आ गया है कि देश हर क्षेत्र में अपनी परंपरा, ज्ञान और सामर्थ्य पर गर्व करे। शिक्षा, स्टार्टअप, विज्ञान, तकनीक और संस्कृति—हर मोर्चे पर भारत को अपनी शर्तों पर आगे बढ़ना होगा।
Gen-Z का उल्लेख करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आज का युवा वैश्विक सोच के साथ स्थानीय जड़ों से जुड़ा हुआ है। डिजिटल कौशल, नवाचार और जोखिम उठाने की क्षमता Gen-Z की सबसे बड़ी ताकत है। सरकार का प्रयास है कि युवाओं को ऐसा वातावरण मिले, जहां वे बिना किसी रुकावट के अपने सपनों को साकार कर सकें। स्टार्टअप इंडिया, स्किल इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसे कार्यक्रम इसी दिशा में उठाए गए कदम हैं।
प्रधानमंत्री ने युवाओं से आह्वान किया कि वे वीर बालकों के जीवन से प्रेरणा लें और राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाएं। उन्होंने कहा कि जब युवा अपनी पहचान और संस्कृति पर गर्व के साथ आगे बढ़ते हैं, तभी देश तेज़ी से प्रगति करता है।
कुल मिलाकर, वीर बाल दिवस पर पीएम मोदी का संदेश इतिहास से प्रेरणा, वर्तमान की चुनौतियों और भविष्य की उम्मीदों को जोड़ता हुआ नजर आया। यह संदेश साफ करता है कि गुलामी की सोच से मुक्ति और Gen-Z पर भरोसा ही भारत को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।