उत्तर भारत इस समय कड़ाके की ठंड और घने कोहरे के दोहरे प्रकोप से जूझ रहा है। दिसंबर के अंतिम सप्ताह में शीतलहर ने मैदानी इलाकों से लेकर उत्तर-पश्चिम भारत तक अपना असर तेज कर दिया है। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और बिहार के कई हिस्सों में न्यूनतम तापमान सामान्य से नीचे दर्ज किया जा रहा है। सुबह और देर रात घना कोहरा छाने से दृश्यता बेहद कम हो गई है, जिससे सड़क, रेल और हवाई यातायात प्रभावित हो रहा है।
दिल्ली-एनसीआर में सुबह के समय दृश्यता कई इलाकों में 50 मीटर से भी कम दर्ज की गई, जिससे ट्रेनों और उड़ानों में देरी की स्थिति बनी। उत्तर प्रदेश और बिहार के तराई क्षेत्रों में भी कोहरे का असर गहराता दिख रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, पश्चिमी विक्षोभ के कमजोर पड़ने और उत्तर-पश्चिमी ठंडी हवाओं के चलते ठंड और बढ़ सकती है। पहाड़ी राज्यों हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी के कारण मैदानी इलाकों में ठंडी हवाओं का असर तेज हुआ है।
शीतलहर का असर खासकर बुजुर्गों, बच्चों और बीमार लोगों पर ज्यादा पड़ रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों को सुबह-शाम अनावश्यक बाहर निकलने से बचने, गर्म कपड़े पहनने और पर्याप्त तरल पदार्थ लेने की सलाह दी है। किसानों के लिए भी यह मौसम चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि कोहरा और पाला फसलों को नुकसान पहुंचा सकता है। कृषि विशेषज्ञों ने खेतों में हल्की सिंचाई और फसल सुरक्षा उपाय अपनाने की सिफारिश की है।
दूसरी ओर, दक्षिण भारत में मौसम का मिजाज कुछ अलग नजर आ रहा है। तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में अगले कुछ दिनों में बारिश की संभावना जताई गई है। बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में बन रहे मौसमी सिस्टम के कारण तटीय इलाकों में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। इससे जहां एक ओर तापमान में गिरावट आएगी, वहीं कुछ क्षेत्रों में जलभराव की स्थिति भी बन सकती है।
कुल मिलाकर, देश के अलग-अलग हिस्सों में मौसम का दोहरा रूप देखने को मिल रहा है—उत्तर भारत में ठंड और कोहरे की मार, जबकि दक्षिण भारत में बारिश की आहट। मौसम विभाग ने लोगों को सतर्क रहने, यात्रा से पहले मौसम की जानकारी लेने और स्थानीय प्रशासन की सलाह का पालन करने की अपील की है।