केंद्र सरकार ने देश की सुरक्षा तैयारियों को और मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए करीब 79 हजार करोड़ रुपये की रक्षा खरीद को मंजूरी दी है। 30 दिसंबर 2025 को रक्षा मंत्रालय द्वारा स्वीकृत इन प्रस्तावों में अत्याधुनिक MRSAM मिसाइल प्रणालियां, अमेरिकी MQ-9B ड्रोन समेत कई अहम सैन्य उपकरण शामिल हैं। यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है, जब भारत के सामने क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर सुरक्षा चुनौतियां लगातार बढ़ रही हैं।
सूत्रों के अनुसार, रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) की बैठक में इन प्रस्तावों को हरी झंडी दी गई। मंजूर की गई खरीद का बड़ा हिस्सा भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना की परिचालन क्षमताओं को बढ़ाने से जुड़ा है। खास तौर पर मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली यानी MRSAM को लेकर सेना और वायुसेना की लंबे समय से जरूरत महसूस की जा रही थी। यह मिसाइल प्रणाली दुश्मन के लड़ाकू विमानों, ड्रोन और मिसाइल हमलों से अहम ठिकानों की सुरक्षा करने में सक्षम मानी जाती है।
इसके अलावा, अमेरिका से खरीदे जाने वाले MQ-9B हाई-एल्टीट्यूड लॉन्ग-एंड्योरेंस ड्रोन भारत की निगरानी और खुफिया क्षमताओं में बड़ा इजाफा करेंगे। ये ड्रोन समुद्री और सीमावर्ती इलाकों में लंबी दूरी तक निगरानी करने में सक्षम हैं और वास्तविक समय में सटीक जानकारी उपलब्ध कराते हैं। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इन ड्रोन की तैनाती से हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की रणनीतिक पकड़ और मजबूत होगी।
रक्षा मंत्रालय का जोर ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य पर भी साफ दिखाई देता है। मंजूर किए गए कई प्रस्ताव ऐसे हैं, जिनमें स्वदेशी कंपनियों की भागीदारी सुनिश्चित की गई है। इससे न केवल घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। सरकार का मानना है कि स्वदेशी उत्पादन बढ़ने से आयात पर निर्भरता कम होगी और भारत दीर्घकाल में रक्षा निर्यातक देश के रूप में उभर सकेगा।
इस खरीद को मौजूदा सुरक्षा हालात के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है। चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव, हिंद महासागर में बढ़ती गतिविधियां और बदलती वैश्विक भू-राजनीति के बीच भारत अपनी सैन्य ताकत को आधुनिक बनाने पर लगातार जोर दे रहा है। रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, यह मंजूरी केवल हथियारों की खरीद नहीं, बल्कि भारत की दीर्घकालिक सुरक्षा रणनीति का हिस्सा है।
कुल मिलाकर, 79 हजार करोड़ रुपये की यह रक्षा खरीद आने वाले वर्षों में भारतीय सशस्त्र बलों की मारक क्षमता, निगरानी शक्ति और तकनीकी बढ़त को नई मजबूती देने वाली साबित हो सकती है।