रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के बीच आरोप–प्रत्यारोप का सिलसिला और तेज हो गया है। रूस ने दावा किया है कि 30 दिसंबर 2025 को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आधिकारिक आवास को निशाना बनाकर 91 ड्रोन से बड़ा हमला करने की कोशिश की गई। रूसी रक्षा मंत्रालय ने इस कथित हमले के लिए सीधे तौर पर यूक्रेन को जिम्मेदार ठहराया है। हालांकि, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इन्हें “झूठ और दुष्प्रचार” करार दिया है।
रूसी अधिकारियों के अनुसार, यह ड्रोन हमला राजधानी मॉस्को और उसके आसपास के संवेदनशील इलाकों में किया गया। रक्षा मंत्रालय का दावा है कि रूस की वायु रक्षा प्रणाली ने अधिकांश ड्रोन को हवा में ही मार गिराया, जबकि कुछ ड्रोन आबादी से दूर गिराए गए, जिससे बड़े नुकसान से बचाव हो सका। रूस का कहना है कि यह हमला केवल सैन्य नहीं, बल्कि राजनीतिक संदेश देने के उद्देश्य से किया गया था, ताकि देश के शीर्ष नेतृत्व को निशाना बनाया जा सके।
क्रेमलिन ने इस घटना को गंभीर उकसावे की कार्रवाई बताते हुए कहा है कि इससे क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा को खतरा पैदा हो सकता है। रूसी राष्ट्रपति कार्यालय ने संकेत दिए हैं कि इस कथित हमले के जवाब में कड़े कदम उठाए जा सकते हैं। रूसी मीडिया में इसे युद्ध को नई दिशा देने वाली घटना के रूप में पेश किया जा रहा है, जबकि सुरक्षा एजेंसियों ने राजधानी और अन्य अहम शहरों में अलर्ट बढ़ा दिया है।
दूसरी ओर, यूक्रेन ने रूस के दावों को पूरी तरह खारिज कर दिया है। राष्ट्रपति जेलेंस्की ने बयान जारी कर कहा कि यूक्रेन नागरिक ठिकानों या किसी नेता के निजी आवास को निशाना नहीं बनाता। उन्होंने रूस पर आरोप लगाया कि वह युद्ध में अपनी असफलताओं से ध्यान हटाने के लिए ऐसे दावे कर रहा है। जेलेंस्की के मुताबिक, रूस लगातार गलत सूचनाओं का इस्तेमाल कर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस दावे को लेकर सवाल उठ रहे हैं। कई विश्लेषकों का कहना है कि इतने बड़े पैमाने पर ड्रोन हमले के स्पष्ट और स्वतंत्र सबूत सामने नहीं आए हैं। पश्चिमी देशों ने फिलहाल संयम बरतते हुए दोनों पक्षों से तथ्यों की पुष्टि की अपील की है। संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ ने भी बयान जारी कर तनाव कम करने और बातचीत के रास्ते खुले रखने पर जोर दिया है।
विशेषज्ञों के अनुसार, ड्रोन युद्ध इस संघर्ष का अहम हिस्सा बन चुका है। दोनों ही देश एक-दूसरे पर ड्रोन हमलों के आरोप लगाते रहे हैं। यदि रूस का दावा सही साबित होता है, तो यह संघर्ष के खतरनाक विस्तार की ओर इशारा करेगा। वहीं, यूक्रेन के इनकार के बाद यह मामला सूचना युद्ध और मनोवैज्ञानिक दबाव की रणनीति का हिस्सा भी माना जा रहा है।
कुल मिलाकर, ‘91 ड्रोन हमले’ का यह विवाद रूस–यूक्रेन युद्ध को और जटिल बना रहा है। सच क्या है और आरोपों के पीछे की वास्तविकता क्या, यह आने वाले दिनों में सामने आएगा, लेकिन फिलहाल इस घटनाक्रम ने वैश्विक राजनीति में नई हलचल जरूर पैदा कर दी है।