25 जून 2025 को हिमाचल प्रदेश के कुल्लू और कांगड़ा जिलों में एक संगीन प्राकृतिक आपदा का उदय हुआ। अचानक हुए बादल फटने (cloudburst) ने कई क्षेत्रों में बाढ़ और व्यापक तबाही मचाई।
कुल्लू जिले की तबाही
कुल्लू के सैंज घाटी में जहां कई स्थानों पर बादल फटे—जैसे कि जीवा नाला (Jiwanala), रेहला बिहाल और गड़सा (शिलागढ़)—तीव्र बाढ़ की वजह से कम‑से‑कम तीन लोग नदी की तेज धार में बहकर लापता हो गए स्थानीय अधिकारी बताते हैं कि बाढ़ ने घरों, सड़कें और सरकारी स्कूल को गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त कर दिया, कुछ पुल–सड़कें बहकर गायब हो गयीं । मनाली, बंजार और मणिकरण घाटियों में भी बसें, वाहन बह गए तथा बीस से अधिक वाहन क्षतिग्रस्त हुए। कुल्लू कनाडा में बिजली और मोबाइल सेवाएं बाधित रहीं, जिससे पुनर्स्थापना कार्य और भी जटिल हो गए।
धर्मशाला/कांगड़ा की स्थिति
कांगड़ा जिले के खनियारा क्षेत्र के मनुनी नदी (Manuni Khad) में भी एक बादल फटने से फ्लैश फ्लड आया। यहां एक हाइड्रोपावर परियोजना के पास काम कर रहे लगभग 15–20 मजदूर बाढ़ की चपेट में आ गए। अभी तक दो शव बरामद हो चुके हैं और कई अन्य अभी भी लापता हैं । स्थानीय विधायक और प्रशासन ने बचाव कार्य जोर‑शोर से शुरू कर दिया है, वहीं SDRF और NDRF की टीमें संकटग्रस्त इलाकों में बचाव प्रयास कर रहीं ।
सैलानियों की मुश्किल
इस आपदा की चपेट में 2000 से अधिक पर्यटक फंस गए हैं, जिनमें लगभग 150 वाहन सैंज घाटी के शान्शर, शंघद और सुछैयाँ पंचायतों में अटके हुए हैं । लाहौल में भी 25 सैलानी अभी तक सुरक्षित बाहर नहीं निकाले जा सके हैं। अप्रत्याशित बाढ़ के कारण सड़क मार्ग बंद हो गए हैं, जिससे निकास मार्ग भी बाधित हैं।
प्रशासन और मौसम विभाग की सक्रियता
कुल्लू के एडिशनल डीसी अश्विनी कुमार तथा कांगड़ा के डीसी हेमराज बैरवा ने रेस्क्यू ऑपरेशन को जारी रखा हुआ है। IMD ने कांगड़ा, कुल्लू, मंडी, शिमला, सिरमौर, चंबा, बिलासपुर, हमीरपुर और ऊना जिलों के लिए ऑरेंज–येलो अलर्ट जारी किया है—26‑27 जून को भारी से बहुत भारी बारिश की संभावना जताई गयी है । राज्य में लगभग 171 सड़कें बंद हैं और 550 बिजली ट्रांसफार्मर फेल हो चुके हैं, साथ ही सैंकड़ों घरों और बिजली पाइपलाइनों को नुकसान पहुँचा है।
मौसम की भविष्यवाणी और क्यों यह गंभीर हुआ
बादल फटना अत्यंत तीव्र स्थानीय वर्षा का रूप है, जहां कुछ ही मिनटों में इतनी बारिश होती है कि आसपास के नाले और नदियाँ उफान पर आ जाती हैं। पहाड़ी इलाकों में ये घटनाएं और घातक होती हैं—क्योंकि पानी तेज‑धारा में उतरता है और पहाड़ी ढलानों से भारी स्थलचालक झटके लगते हैं।
कुल मिलाकर, यह घटना न केवल मानवीय जान-माल की बड़ी क्षति लेकर आई बल्कि पर्यटन गतिविधियों और बुनियादी ढांचे को भी नग्न कर दिया। प्रशासन, मौसम विभाग और बचाव कर्मी इस समय जख्मों को भरने, फंसे हुए लोगों को बचाने और पुनर्स्थापना में जुटे हुए हैं।
यदि आपके परिवार, मित्र या परिचित इस क्षेत्र में हैं, तो कृपया उनसे संपर्क बनाए रखें और स्थानीय बचाव व प्रशासनिक टीमों के निर्देशों का पालन करें।