भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य तनाव, ख़ासकर ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में, एक शांतिमय समाधान निकालने के लिए दोनों देशों ने उच्च‑स्तरीय वार्ता का निर्णय लिया है। इस महत्वपूर्ण पहल के तहत, दोनों पक्षों के रक्षा मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) एक ही छत के नीचे मिलेंगे।
ऑपरेशन सिंदूर का प्रभाव
ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत 7 मई 2025 को तब हुई जब भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान‑कंट्रोल्ड कश्मीर में नौ आतंकवादी ढांचों पर सटीक हमला किया था। इसके बाद पाकिस्तान ने सीमा पार आर्टिलरी और ड्रोन हमलें किए, जबकि भारत ने जवाबी कार्रवाई की। चार दिन की जंग के बाद दोनों देशों ने 10 मई को युद्धविराम पर सहमति जताई । भारत ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और संयम की प्रशंसा की, जबकि पाकिस्तान ने अमेरिकी मध्यस्थता से युद्धविराम पाया ।
बैठक का महत्व
यह बैठक पहले की सभी‑दलीय परामर्श बैठक की तरह है—जैसे अन्ना स्कीकरण के तुरंत बाद—लेकिन पहली बार दोनों देशों के रक्षा मंत्री और NSA सीधे आमने-सामने चर्चा करेंगे । इसका उद्देश्य मौजूदा तनाव की गंभीरता को समझना, एक स्थायी संघर्ष विराम सुनिश्चित करना, और भविष्य में आतंकवाद तथा सीमा सुरक्षा पर स्पष्ट समझ बनाना है।
बैठक के एजेंडे में संभावित चर्चाएँ
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वर्तमान दौर में युद्धविराम और पैतृक नियंत्रण – ओवरफ़्लाइट, ड्रोन आवाजाही, और सीमा पर समुद्री और हवाई मार्गों की निगरानी।
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आतंकवाद के खिलाफ सामूहिक रणनीति – विशेषकर हाल के पहलगाम आतंकी हमले के बाद पहचान हुए समूहों की कार्रवाई।
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संचार चैनल और लगातार वार्ता – भविष्य में उभरते संकटों के लिए त्वरित सूचना-और नियंत्रण नियंत्रण प्रणालियाँ।
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अगला संपर्क और follow‑ups – विमर्श की निरंतरता सुनिश्चित करने हेतु सैन्य और कूटनीतिक माध्यमों द्वारा समयबद्ध उपाय।
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चेकप्वाइंट्स और ट्रांसपेरेंसी उपाय – जैसे आर्टिलरी और ड्रोन की निगरानी के लिए साझा टास्क फोर्स की संभावना।
राजनीतिक-नैतिक पहलू
इस बैठक का संदेश व्यापक होगा: “बड़े कद के नेताओं के बीच संवाद, ना कि संवादहीनता, ही दीर्घकालिक समाधान की कुंजी है।” भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान उचित संयम दिखाया—रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था, "हम और कर सकते थे, लेकिन हमने संयम दिखाया" । वहीं पाकिस्तान का वार्तालाप के लिए उदार रवैया संकेत देता है कि दोनों ओर वैश्विक मध्यस्थता के प्रति सकारात्मकता है।
भविष्य की दिशा
यह बैठक दोनों देशों के रक्षा और सुरक्षा मामलों में एक नया अध्याय हो सकती है। यदि यह शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुई और किसी निष्कर्ष पर पहुंची, तो आगे की वार्ता के लिए सकारात्मक प्रक्षेपवक्र स्थापित हो सकता है। यह पहल रोष, सेना और राजनीति के बीच मौजूद विभाजन को समाप्त कर संदिग्धता को विश्वास में बदलने का अवसर है।