प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर मौजूद भारतीय वायुसैनिक समूह कप्तान शुभांशु शुक्ला को एक विशेष “होमवर्क” सौंपा है। 28 जून 2025 को हुई वीडियो बातचीत में मोदी ने उन्हें देश की प्रतिबद्धताओं को आगे बढ़ाने का निर्देश दिया—विशेष रूप से मिशन गगनयान को अंतिम रूप देना, भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करना तथा चंद्रमा पर भारतीय अंतरिक्ष यात्री भेजना ।
शुभांशु शुक्ला, जो 41 वर्षों के बाद ISS तक पहुँचने वाले पहले भारतीय हैं, प्रधानमंत्री के शब्दों में “सबसे दूर बचपन की धरती से, लेकिन भारतीयों के दिलों के सबसे करीब” हैं । मोदी ने उन्हें इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए बधाई दी और कहा कि उनका नाम ‘शुभांशु’ जिस शुब’s’ शुभ आरंभ की ओर इशारा करता है, उसी तरह उनकी और भारत की यात्राएं भी नए युग की शुरुआत कर रही हैं ।
बातचीत में वैज्ञानिक प्रयोगों की महत्ता पर भी जोर दिया गया। शुक्ला ने बताया कि उन्होंने सात भारतीय डिज़ाइन किए गए प्रयोग लेकर गए हैं, जिनमें कैंसर रिसर्च, डीएनए मरम्मत व माइक्रोग्रैविटी में सेल विकास शामिल हैं, जिनका कृषि और हेल्थ सेक्टर में उपयोग हो सकता है । मोदी ने कहा, “चंद्रयान की सफलता के बाद अब युवाओं में अंतरिक्ष के प्रति जुनून बढ़ा है और शुभांशु की यह यात्रा उसी जोश को बरकरार रखेगी” ।
वातावरण विज्ञान, ध्यान और आध्यात्मिकता के बीच संतुलन की भी चर्चा हुई। शुक्ला ने बताया कि माइक्रोग्रैविटी में जीवन अनूठा है—नींद, खाना-पीना तथा मुख्य रूप से पैर ज़मीन पर न टिक पाने जैसी चुनौतियाँ सामने आती हैं—जिसके लिए उन्हें पैरों को बांधकर ही स्थिर रहना पड़ता है । मोदी ने कहा कि विज्ञान और अध्यात्म भारत की ताकत हैं, और दोनों का मिश्रण ही कार्यक्षमता बनाए रखने में मदद करता है ।
शुक्ला ने युवाओं के नाम संदेश दिया—“आसमान कभी सीमा नहीं है”। उन्होंने दृढ़ संकल्प, प्रयास और निरंतरता को सफलता की कुंजी बताया। मोदी ने कहा कि शुभांशु की ज़मीनी अनुभवें आगे की स्पेस यात्रा के लिए मार्गदर्शक होंगी ।
इस वार्ता का मुख्य “होमवर्क” था: शुभांशु को अपने अनुभव दस्तावेज़ीकरण के द्वारा गगनयान मिशन, स्वदेशी स्पेस स्टेशन और चंद्र मिशन जैसी योजनाओं के लिए योगदान देना। शुक्ला ने आश्वासन दिया कि उन्होंने ग्रहित हर सीख को एक “स्पॉन्ज की तरह” संग्रहित किया है और मिशन समाप्ति के पश्चात उनका उपयोग उसकी गति तेज़ करने में करेंगे ।
इस संवाद ने भारत के अंतरिक्ष यात्रा के बढ़ते आत्मविश्वास और युवा पीढ़ी में जागृत उम्मीदों को उजागर किया। प्रधानमंत्री का यह संदेश था कि शुभांशु केवल स्वयं का ही प्रतिनिधित्व नहीं कर रहे, बल्कि पूरे देश की आकांक्षाओं को अंतरिक्ष में ले जा रहे हैं।