दुनिया एक बार फिर परमाणु हथियारों की अनिश्चितता और खतरों की दहलीज पर खड़ी दिख रही है। हाल ही में सामने आई एक खुफिया रिपोर्ट के अनुसार ईरान से लगभग 400 किलो उच्च संवर्धित यूरेनियम (Enriched Uranium) गायब हो गया है, जिसका कोई स्पष्ट रिकार्ड या ठोस जवाब ईरानी अधिकारियों के पास नहीं है। इस यूरेनियम की कथित तौर पर उत्तर कोरिया के साथ सांठगांठ के तहत अवैध आपूर्ति की आशंका जताई जा रही है, जिससे अमेरिका और इज़राइल में गहरी चिंता और तनाव बढ़ गया है।
यह मामला सिर्फ ईरान के परमाणु कार्यक्रम की पारदर्शिता पर सवाल नहीं खड़ा करता, बल्कि वैश्विक सुरक्षा के लिहाज से भी गंभीर खतरा है। बताया जा रहा है कि गायब हुआ यूरेनियम इतनी मात्रा में है कि इससे एक या दो परमाणु बम बनाए जा सकते हैं, जो किसी भी देश की सुरक्षा के लिए खतरे की घंटी है। विशेषज्ञों के मुताबिक यह यूरेनियम 60% तक संवर्धित था, जो परमाणु हथियारों के निर्माण के लिए बेहद महत्वपूर्ण चरण होता है।
अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने इस आशंका को बल दिया है कि ईरान और उत्तर कोरिया गोपनीय तकनीकी और सामरिक सहयोग के ज़रिए परमाणु हथियारों की दिशा में मिलकर प्रयास कर रहे हैं। उत्तर कोरिया की भूमिका पहले ही परमाणु प्रसार (nuclear proliferation) में संदिग्ध रही है, और अब अगर वह ईरान से यूरेनियम प्राप्त कर रहा है, तो यह अंतरराष्ट्रीय परमाणु अप्रसार संधियों का घोर उल्लंघन होगा।
इस पूरे घटनाक्रम पर इज़राइल ने भी कड़ा रुख अपनाया है। इजरायली प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि यदि ईरान और उत्तर कोरिया मिलकर परमाणु हथियार विकसित करने की दिशा में काम कर रहे हैं, तो यह न केवल मध्य पूर्व बल्कि पूरी दुनिया की सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती बन सकता है।
संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था IAEA (अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी) ने ईरान से जवाब मांगा है और गायब यूरेनियम की जांच तेज कर दी गई है। हालांकि ईरान ने यूरेनियम की कमी को "तकनीकी त्रुटि" बताया है और उत्तर कोरिया से किसी भी प्रकार के सहयोग से इनकार किया है, लेकिन पश्चिमी देश इस दावे से संतुष्ट नहीं हैं।
इस बीच अमेरिका ने अपने मध्य पूर्व स्थित सैन्य अड्डों को हाई अलर्ट पर रखा है और इजरायल के साथ रणनीतिक बैठकें शुरू कर दी हैं। कूटनीतिक हलकों में चर्चा है कि अगर यह साबित हो गया कि यूरेनियम उत्तर कोरिया को गया है, तो ईरान पर और कड़े प्रतिबंध, और संभवतः सैन्य कार्रवाई भी हो सकती है।