पुरी में 27 जून 2025 को आयोजित महाप्रभु जगन्नाथ की रथयात्रा के दौरान भगवान बलभद्र के तालध्वज रथ के एक मोड़ पर चक्कर लग जाने के कारण रथ यात्राएँ अटक गईं। अचानक रुकावट के चलते उस मोड़ पर भारी भीड़ जमा हो गई, जिससे कम से कम 600 श्रद्धालुओं को चोटें और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ हुईं, और उन्हें आसपास के अस्पतालों में भर्ती कराना पड़ा ।
🛤️ रथ अटकने की घटना और भारी भीड़
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रथ को मोड़ पर खींचने में काफी कठिनाई हुई, जिससे रथ की गति रुक गई और भीड़ में उथल-पुथल की स्थिति बन गई ।
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अचानक रोकावट और जगह की कमी से लोग आपस में धक्कामुक्की में उलझ गए, परिणामस्वरूप कई श्रद्धालु घायल हुए, हालांकि किसी की जान नहीं गई—यह एक बड़ी राहत की बात रही ।
🔢 घायल श्रद्धालुओं की संख्या
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शुरुआती रिपोर्ट्स में लगभग 600 लोगों के अस्पताल पहुंचाए जाने की जानकारी सामने आई ।
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कुछ स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार कुल लगभग 625 श्रद्धालुओं को प्राथमिक इलाज और भर्ती की जरूरत पड़ी, जिनमें से कुछ की हालत गंभीर थी।
🏥 बचाव एवं इलाज के इंतज़ाम
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स्थानीय प्रशासन, डॉक्टरों और स्वयंसेवकों ने तुरंत प्राथमिक चिकित्सा और अस्पतालों में भर्ती की व्यवस्था की ।
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पुलिंदाबादा, जिला मुख्यालय एवं आईडीएच जैसे अस्पतालों ने मिलकर प्राथमिक उपचार प्रदान किया, और गंभीर मामलों को सीबी मेडिकल कॉलेज के आईसीयू में एडमिट किया गया।
🔧 प्रशासनिक तैयारी और आगे की कार्रवाई
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पुलिस, स्वास्थ विभाग और राहत टीमें तुरंत आगे बढ़ीं, कई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को सक्रिय किया गया और एम्बुलेंस कॉरिडोर बनाए गए ।
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प्रशासन ने इस भीड़-नियंत्रण की घटना को अपनी ग़लती बताया और भविष्य में ऐसे आयोजनों के दौरान इससे निपटने के लिए व्यवस्था और कड़ी करने का आश्वासन दिया ।
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भारी भीड़ और रथ अटकने जैसी अप्रत्याशित स्थितियों ने 600 से अधिक श्रद्धालुओं को घायल कर दिया, लेकिन किसी की मौत नहीं हुई।
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बलभद्र रथ के मोड़ पर अटकने से उत्पन्न परिस्थिति ने हमें भीड़ प्रबंधन की चुनौतियों और प्रशासकीय उत्तरदायित्व की अहमियत याद दिलाई।
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इसके मद्देनज़र आगे से और सटीक योजना, अधिक मेडिकल टीमों की तैनाती, और बेहतर सुरक्षा इंतज़ामों की जरूरत है।