जम्मू-कश्मीर में इस वर्ष की अमरनाथ यात्रा को लेकर एक अहम बदलाव देखने को मिला है। पिछले वर्षों की तुलना में इस बार तीर्थयात्रियों की संख्या में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है। श्रद्धालुओं की कम भागीदारी ने प्रशासन से लेकर धार्मिक संगठनों तक को चिंतन में डाल दिया है। इस पर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने यात्रा में कमी आने के पीछे कई महत्वपूर्ण कारणों की ओर इशारा किया है।
उपराज्यपाल ने बताया कि इस वर्ष प्राकृतिक आपदाओं की आशंका और मौसम की अनिश्चितता लोगों के मन में डर का कारण बनी है। इसके अलावा, कुछ जगहों पर हालिया सुरक्षा घटनाओं ने भी यात्रियों के मन में चिंता पैदा की है। हालांकि, सरकार की ओर से यात्रा मार्गों पर कड़ी सुरक्षा और व्यापक व्यवस्थाओं का दावा किया गया है, लेकिन फिर भी अपेक्षित संख्या में श्रद्धालु नहीं पहुंचे हैं।
मनोज सिन्हा ने कहा कि “हमारी तैयारियों में कोई कमी नहीं है। सुरक्षा, चिकित्सा, भोजन, ठहरने और मार्गों की सफाई जैसी सभी व्यवस्थाएं सुव्यवस्थित ढंग से की गई हैं। लेकिन देश के अन्य हिस्सों में मौसम, बाढ़ और खबरों के माध्यम से फैली आशंका ने लोगों की यात्रा की योजना को प्रभावित किया है।”
सामाजिक और धार्मिक संगठनों का मानना है कि यात्रा को लेकर जनता में भरोसा कायम रखने की जरूरत है। वहीं, पर्यटन विभाग के आंकड़ों के अनुसार पिछले सालों में जहाँ लाखों श्रद्धालु अमरनाथ यात्रा में भाग लेते थे, इस वर्ष अब तक की संख्या कई हजार कम रही है।
बाबा बर्फानी के दर्शन की यह वार्षिक यात्रा श्रद्धा और साहस का प्रतीक मानी जाती है, लेकिन मौसम की कठोरता और खबरों में दिखाई जाने वाली चुनौतियाँ श्रद्धालुओं के कदम पीछे खींच रही हैं।
प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है और जो श्रद्धालु आ रहे हैं, उन्हें हर आवश्यक सुविधा और सुरक्षा दी जा रही है। सरकार और श्रद्धालुओं के बीच संवाद और विश्वास बढ़ाने की कोशिशें जारी हैं।