30 जून 2025 को ईरानी सर्वोच्च शिया मौलवी ग्रैंड आयातुल्ला नासिर मकारेम शीराज़ी ने एक विशेष धार्मिक घोषणा—फतवा जारी किया। जिसमें उन्होंने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को "अल्लाह का दुश्मन" (enemy of God) और "मोहरेब" (जो अल्लाह के खिलाफ युद्ध करते हैं) कहकर निरोपित किया है। उन्होंने विशेष रूप से मुसलमानों से अपील की है कि वे इन नेताओं को सहयोग न करें और यदि संभव हो तो उनका विरोध करें ।
🧭 इस निर्णय के धार्मिक और कानूनी मायने
फ़तवे में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जो भी व्यक्ति या सरकार इस्लामी उम्माह के नेतृत्व को चुनौती देती है, वह "मोहरेब" की श्रेणी में आता है। ईरानी इस्लामी कानून के अनुसार, मोहरेब को निष्पादित, सुली पर चढ़ाया, हाथ-पैर काटे या देश निकाला जा सकता है ।
इस घोषणा में यह भी कहा गया कि कोई भी मुसलमान यदि ट्रंप या नेतन्याहू पर हमला करता है और उसमें मार गिराया जाता है, तो उसे शहादत का पुरस्कार अल्लाह की बदौलत मिलेगा ।
🌍 भू-राजनीतिक पृष्ठभूमि
यह फतवा लगभग उसी समय जारी हुआ जब मध्य-पूर्व में हालिया 12 दिन का संघर्ष चल रहा था, जिसमें इजरायल की "Operation Rising Lion" ने ईरान की परमाणु एवं सैन्य सुविधाओं पर हवाई हमले किए, और ईरान ने जवाबी बैलिस्टिक हमले किए ।
ट्रंप के बारे में कहा गया कि उन्होंने ईरान के सर्वोच्च नेता आयातुल्ला खामेनेई को कथित निष्पादन से रोकने में पीछे नहीं हटे—इससे कूटनीतिक लिहाज़ से भी विवाद की स्थितियाँ उत्पन्न हो गईं ।
🧨 ऐतिहासिक संदर्भ और प्रतिक्रियाएँ
यह पहला मौका नहीं जब ईरानी धार्मिक नेताओं ने उग्र फतवे जारी किए हों। साल 1989 में सहमत लेखक सलमान रुश्दी पर फतवा, और 1979 की "Death to America" नारेबाजी इसका ऐतिहासिक उदाहरण है ।
इस बार, पश्चिमी विश्लेषकों ने इसे एक खतरनाक "वैश्विक आतंक" भड़काने वाला कदम बताया है, जबकि ईरानी प्रचार समर्थकों ने इसे इस्लामी दुनिया की एकजुटता की अभिव्यक्ति माना है ।
⚠️ वैश्विक असर और भविष्य की दिशा
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फतवे से अमेरिकी व इजरायली राजनयिकों को सतर्क रहने की आवश्यकता बढ़ गई है।
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यह घोषणा क्षेत्रीय तनाव को और बढ़ा सकती है, खासकर अमेरिका, इजरायल और ईरान के बीच चल रहे डिप्लोमैटिक गतिरोधों के बीच।
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साथ ही, यह मुस्लिम देशों में कट्टरपंथी विचारधारा को बल दे सकता है, जिससे आतंकवाद की संभावनाएं महत्त्वपूर्ण हो जाती हैं।
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ग्रैंड आयातुल्ला मकारेम शीराज़ी द्वारा जारी फतवे में ट्रंप और नेतन्याहू को न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से अल्लाह-दुश्मन बताया गया, बल्कि उनके खिलाफ कार्रवाई को धार्मिक कर्तव्य कहा गया।
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यह कदम स्पष्ट संकेत देता है कि ईरान कट्टर धार्मिक-राजनीतिक भाषा से पीछे नहीं हट रहा है।
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इसकी प्रतिक्रिया और असर आने वाले दिनों में अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा व कूटनीति की दिशा तय करेंगे।