रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर इस बार भी कोई बड़ी सफलता नहीं मिल सकी है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हाल ही में हुई फोन वार्ता से दुनिया को एक बार फिर शांति की उम्मीद थी, लेकिन ट्रंप की प्रतिक्रिया ने इस उम्मीद को कमजोर कर दिया। बातचीत के बाद ट्रंप ने स्पष्ट कहा, "मुझे नहीं लगता कि वे (रूस) युद्ध रोकने वाले हैं।"
एक घंटे चली बातचीत, पर कोई हल नहीं
3 जुलाई को ट्रंप और पुतिन के बीच करीब एक घंटे तक फोन पर संवाद हुआ। इस दौरान ट्रंप ने युद्ध रोकने और सीजफायर के लिए कोशिश की, लेकिन उन्होंने बातचीत के बाद मीडिया से कहा कि पुतिन इस मसले पर झुकते नजर नहीं आए। ट्रंप के अनुसार, रूस युद्ध के उन मूल कारणों पर अड़ा हुआ है, जिन्हें वह बार-बार नाटो के विस्तार, यूक्रेन को सैन्य सहायता, और पश्चिमी दखल के रूप में देखता है।
अमेरिका की हथियार नीति में बदलाव
बातचीत के कुछ ही घंटे पहले अमेरिका ने यूक्रेन को दी जा रही कुछ सैन्य सहायता – खासकर पैट्रियट मिसाइलें – अस्थायी रूप से रोक दी। ट्रंप ने इस फैसले को अमेरिका की सुरक्षा जरूरतों के लिहाज से उचित बताया और कहा कि “हमें पहले खुद को सुरक्षित रखना है।”
ज़मीन पर बिगड़ते हालात
ट्रंप-पुतिन कॉल के बाद रूस ने यूक्रेन की राजधानी कीव समेत कई शहरों पर बड़े पैमाने पर ड्रोन और मिसाइल हमले किए। इन हमलों को 2025 की सबसे भीषण बमबारी बताया गया है। कीव प्रशासन के अनुसार, कम से कम एक व्यक्ति की मौत हुई और दर्जनों घायल हुए। यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने इस हमले को न केवल ‘आतंकी कार्रवाई’ कहा, बल्कि इसे ट्रंप की पहल का अपमान भी बताया।
पुतिन का अडिग रुख
क्रेमलिन के सूत्रों के अनुसार, पुतिन ने बातचीत में राजनीतिक समाधान की बात जरूर दोहराई, लेकिन यह भी साफ कर दिया कि रूस डोनबास, क्रीमिया और नाटो विस्तार के मसले पर कोई समझौता नहीं करेगा। पुतिन ने यह भी स्पष्ट किया कि “रूस अपने सैन्य और क्षेत्रीय हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।”
ज़ेलेंस्की से भी बातचीत की योजना
हालांकि ट्रंप की पुतिन से बातचीत बेनतीजा रही, लेकिन उन्होंने संकेत दिया कि वे जल्द ही ज़ेलेंस्की से भी बात करेंगे। ट्रंप का कहना था कि एकतरफा बातचीत से हल नहीं निकलेगा और यूक्रेन के नजरिए को समझना भी जरूरी है।
निष्कर्ष: शांति की राह अभी भी कठिन
डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता की कोशिशें इस बार कामयाब नहीं रहीं। पुतिन की जिद और हमलों की आक्रामकता ने साफ कर दिया कि रूस फिलहाल किसी भी तरह के युद्धविराम के लिए तैयार नहीं है। दूसरी ओर, यूक्रेन अंतरराष्ट्रीय समर्थन और हथियार आपूर्ति के लिए लगातार गुहार लगा रहा है। इस पूरी स्थिति ने स्पष्ट कर दिया है कि रूस-यूक्रेन युद्ध अभी और लंबा खिंच सकता है और शांति की राह फिलहाल कठिन बनी हुई है।