उत्तर कोरिया के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम को लेकर अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया की हालिया संयुक्त रणनीतियों पर रूस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। रूस ने स्पष्ट रूप से चेतावनी दी है कि अगर उत्तर कोरिया को निशाना बनाया गया, तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। क्रेमलिन के बयान से क्षेत्र में बढ़ते तनाव की पुष्टि होती है, जो पहले से ही जियोपॉलिटिकल अस्थिरता से जूझ रहा है।
रूस ने क्यों दी चेतावनी?
हाल ही में अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया ने प्योंगयांग के बढ़ते परमाणु खतरे को लेकर एक त्रिपक्षीय सुरक्षा बैठक की थी। बैठक के बाद अमेरिका ने "सख्त कार्रवाई" के संकेत दिए थे, वहीं जापान और दक्षिण कोरिया ने अपनी सैन्य तैयारियों को भी तेज किया। इसी पृष्ठभूमि में रूस ने बयान जारी करते हुए कहा कि उत्तर कोरिया की संप्रभुता और सुरक्षा में दखल दिया गया तो वह मूकदर्शक नहीं रहेगा।
रूसी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मारिया ज़ाखारोवा ने कहा, “उत्तर कोरिया को लक्षित करना सिर्फ एक देश को नहीं, बल्कि क्षेत्रीय संतुलन को खतरे में डालना है। यदि पश्चिमी देश कोई उकसावे वाली कार्रवाई करते हैं, तो रूस जवाब देने का अधिकार सुरक्षित रखता है।”
चीन ने भी साधी चुप्पी
जहां रूस ने खुलकर उत्तर कोरिया का पक्ष लिया है, वहीं चीन ने फिलहाल संयम बरतते हुए केवल “संवेदनशीलता और बातचीत” की अपील की है। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन की चुप्पी रणनीतिक है, और वह हालात को भांप कर प्रतिक्रिया देगा।
क्षेत्रीय तनाव में वृद्धि
इस घटनाक्रम के बाद कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव और गहराने की आशंका है। अमेरिका ने दक्षिण कोरिया में अपने मिसाइल डिफेंस सिस्टम को अपडेट करने की योजना पर काम शुरू कर दिया है। वहीं उत्तर कोरिया ने हाल ही में एक और अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) का परीक्षण किया है, जिसे "रक्षा के लिए आवश्यक" बताया गया है।