देश के 14वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का कार्यकाल अब समाप्ति की ओर है और उनके उत्तराधिकारी को लेकर राजनीतिक हलचल तेज़ हो गई है। इस बार मुकाबला सिर्फ सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच नहीं, बल्कि विचारधाराओं की जंग का प्रतीक बनता नजर आ रहा है। केंद्र में सत्ता संभाल रही एनडीए (NDA) जहां अपने मजबूत उम्मीदवार को आगे लाने की रणनीति में जुटी है, वहीं विपक्षी गठबंधन INDIA ब्लॉक भी इस पद के लिए साझा उम्मीदवार उतारने पर मंथन कर रहा है।
संवैधानिक प्रक्रिया की शुरुआत
उपराष्ट्रपति का चुनाव राष्ट्रपति चुनाव के समान ही परोक्ष प्रणाली से होता है, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा के निर्वाचित तथा मनोनीत सदस्य वोट डालते हैं। धनखड़ का कार्यकाल अगस्त अंत में समाप्त हो रहा है, ऐसे में चुनाव आयोग अगले कुछ दिनों में चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है।
NDA की रणनीति और संभावित नाम
सूत्रों के अनुसार, भाजपा इस बार एक वरिष्ठ नेता या राज्यपाल रहे किसी अनुभवी चेहरे को मैदान में उतार सकती है। संभावित नामों में अरुणाचल के पूर्व राज्यपाल बी.डी. मिश्रा, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और पूर्व केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत की चर्चा है। भाजपा चाहती है कि उम्मीदवार का प्रोफाइल ऐसा हो जो संसद में सभापति की भूमिका को गरिमा के साथ निभा सके।
INDIA ब्लॉक की तैयारी
विपक्षी INDIA गठबंधन भी इस अवसर को सत्ता पक्ष के खिलाफ एकजुटता दिखाने के रूप में देख रहा है। चर्चा है कि कांग्रेस, टीएमसी, आप, सपा और डीएमके जैसे प्रमुख दल किसी पूर्व न्यायाधीश, शिक्षाविद् या सामाजिक कार्यकर्ता को साझा उम्मीदवार बना सकते हैं। हालांकि नाम तय नहीं हुआ है, लेकिन विपक्ष के बीच मंथन जारी है कि ऐसा चेहरा सामने लाया जाए जो राजनीतिक ध्रुवीकरण को चुनौती दे सके।
राजनीतिक महत्व
हालांकि उपराष्ट्रपति का पद कार्यपालिका में प्रत्यक्ष रूप से प्रभावी नहीं होता, फिर भी यह पद संसद की कार्यवाही में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। साथ ही, इस चुनाव को विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच राजनीतिक ताकत की परीक्षा के रूप में भी देखा जा रहा है।