देश के अगले उपराष्ट्रपति को लेकर चल रही अटकलों पर आखिरकार विराम लग गया है। लंबे समय से जनता दल (यू), विशेष रूप से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जेडीयू सांसद रामनाथ ठाकुर के नाम को लेकर चल रही चर्चाओं के बीच अब यह स्पष्ट हो गया है कि उपराष्ट्रपति पद के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने एक प्रमुख सहयोगी दल के वरिष्ठ नेता को उम्मीदवार बनाया है।
भाजपा नेतृत्व द्वारा घोषित उम्मीदवार का नाम भले ही अभी औपचारिक रूप से न बताया गया हो, लेकिन विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, यह नेता दक्षिण भारत से आते हैं और उनका नाम राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य माना जा रहा है। यह फैसला क्षेत्रीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए और 2026 में होने वाले कई राज्यों के विधानसभा चुनावों की रणनीति के तहत लिया गया है। इससे यह भी संकेत मिलता है कि भाजपा अब सहयोगी दलों को अधिक प्रतिनिधित्व देने की दिशा में सक्रिय हुई है।
नीतीश कुमार और रामनाथ ठाकुर क्यों नहीं?
नीतीश कुमार के नाम की चर्चा इसलिए भी गर्म थी क्योंकि हाल ही में वे विपक्ष से संबंध तोड़कर पुनः NDA में शामिल हुए थे। वहीं, रामनाथ ठाकुर का नाम उनके सामाजिक प्रतिनिधित्व और जेडीयू में वरिष्ठता के चलते चर्चा में था। लेकिन सूत्र बताते हैं कि खुद नीतीश कुमार ने किसी भी नाम के लिए दबाव बनाने से इनकार किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पूरा भरोसा जताया।
राजनीतिक संकेत क्या हैं?
उपराष्ट्रपति पद के लिए एक दक्षिण भारतीय नेता के चयन से भाजपा यह संकेत दे रही है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में दक्षिण भारत में बढ़ते जनाधार को और मजबूती दी जाएगी। साथ ही यह सहयोगी दलों के प्रति राजनीतिक विश्वास बहाली का भी संकेत है, जिससे एनडीए में एकजुटता बनी रहे।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
इधर, विपक्षी दलों की INDIA गठबंधन की ओर से भी उम्मीदवार की घोषणा जल्द हो सकती है। कांग्रेस समेत प्रमुख दलों की एक बैठक 28 जुलाई को प्रस्तावित है, जिसमें नाम पर मुहर लग सकती है।