भारत और यूनाइटेड किंगडम (UK) के बीच हुए मुक्त व्यापार समझौते (FTA) ने देश के महिला केंद्रित लघु और मध्यम उद्योगों को वैश्विक स्तर पर नई पहचान दिलाने का रास्ता खोल दिया है। खासतौर पर टेक्सटाइल, हस्तशिल्प, कढ़ाई, बुनकरी और लोककलाओं जैसे परंपरागत क्षेत्रों में सक्रिय महिलाओं को इससे सीधा लाभ मिलने की उम्मीद है।
यह समझौता भारत की उन लाखों महिलाओं के लिए एक बड़ी राहत लेकर आया है जो अब तक सीमित संसाधनों के साथ घरेलू और स्थानीय बाजारों तक ही सीमित थीं। अब उन्हें न केवल विदेशों में अपने उत्पादों को बेचने का अवसर मिलेगा, बल्कि वैश्विक मांग के अनुरूप नवाचार और डिज़ाइनिंग में भी भागीदारी बढ़ेगी।
टेक्सटाइल और हस्तशिल्प को मिलेगा नया बाजार
FTA के तहत भारतीय वस्त्रों, हथकरघा और शिल्प उत्पादों पर आयात शुल्क में बड़ी छूट दी गई है। इससे महिला उद्यमियों द्वारा निर्मित बनारसी साड़ी, मधुबनी पेंटिंग, कश्मीरी शॉल, खादी उत्पाद, चंदेरी और कांच की चूड़ियों जैसे पारंपरिक उत्पाद अब ब्रिटिश और यूरोपीय बाजारों में आसानी से प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे।
ग्रामीण महिलाओं के लिए अवसरों की नई खिड़की
खासकर उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और राजस्थान जैसी राज्यों की कारीगर महिलाएं जो अब तक सीमित पहुंच के कारण अपने हुनर को बाजार तक नहीं पहुंचा पाती थीं, उन्हें ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, सरकारी निर्यात योजनाओं और नए व्यापार संपर्कों से बड़ा फायदा होगा।
महिला उद्यमशीलता को मिलेगा बढ़ावा
सरकार ने महिला उद्यमियों के लिए ‘मेक इन इंडिया फॉर द वर्ल्ड’ अभियान के तहत विशेष पैकेज की भी घोषणा की है, जिससे उन्हें उत्पादन, ब्रांडिंग, पैकेजिंग और अंतरराष्ट्रीय प्रमाणीकरण में मदद मिलेगी।
FTA न केवल व्यापार के दरवाज़े खोल रहा है, बल्कि सामाजिक बदलाव का वाहक बनकर महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम सिद्ध हो सकता है। यह समझौता भारतीय महिलाओं को आत्मनिर्भरता और वैश्विक मंच दोनों प्रदान करने की दिशा में ऐतिहासिक साबित हो सकता है।