उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में हालिया आपदा के बाद एक नई चुनौती सामने आई है। तेज बारिश और भूस्खलन के चलते क्षेत्र में 3 किलोमीटर लंबी झील बन गई, जिससे आसपास के गांवों में खतरे की स्थिति उत्पन्न हो गई। जलभराव और रास्ते बंद होने के कारण कई लोग फंस गए थे, जिन्हें सुरक्षित निकालने के लिए भारतीय वायुसेना और आपदा प्रबंधन दल ने बड़े पैमाने पर बचाव अभियान चलाया।
प्रशासन के अनुसार, झील का निर्माण पहाड़ी ढलान से भारी मात्रा में मलबा और पत्थर गिरने के कारण हुआ, जिससे नदी का बहाव रुक गया। पानी लगातार बढ़ने से निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा। एहतियातन, प्रशासन ने आसपास के गांवों के लोगों को तुरंत सुरक्षित स्थानों पर ले जाने का निर्णय लिया।
बचाव कार्य में भारतीय वायुसेना के भारी-भरकम चिनूक हेलीकॉप्टरों की मदद ली गई। इन हेलीकॉप्टरों की क्षमता और गति के कारण मुश्किल इलाकों में भी लोगों को तेजी से निकाला जा सका। अब तक 1,000 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है। राहत और बचाव कार्य में राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) और स्थानीय पुलिस भी सक्रिय रूप से जुटी हुई है।
स्थानीय प्रशासन ने बताया कि झील के पानी के स्तर पर लगातार नजर रखी जा रही है। विशेषज्ञों की एक टीम भी मौके पर पहुंच चुकी है, जो झील की स्थिरता और संभावित खतरे का आकलन कर रही है। यदि पानी का दबाव बढ़ा, तो नियंत्रित तरीके से बहाव शुरू करने की योजना बनाई जाएगी ताकि अचानक बाढ़ जैसी स्थिति से बचा जा सके।
मुख्यमंत्री ने स्थिति की समीक्षा करते हुए सभी प्रभावित परिवारों को हर संभव मदद देने का आश्वासन दिया है। उन्होंने बचाव दलों के त्वरित और साहसी प्रयासों की सराहना भी की। साथ ही, राज्य और केंद्र सरकार ने राहत सामग्री, दवाइयों और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किए हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं जलवायु परिवर्तन और अत्यधिक वर्षा की वजह से अधिक देखने को मिल रही हैं। पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन और अचानक झील बनने का खतरा भविष्य में भी बरकरार रह सकता है, इसलिए सतर्कता और समय पर चेतावनी प्रणाली को मजबूत करना जरूरी है।