कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा साझा की गई मतदाता सूची पर चुनाव आयोग (ECI) ने सख्त आपत्ति जताते हुए इसे भ्रामक करार दिया है। आयोग का कहना है कि राहुल गांधी ने जो आंकड़े और जानकारी पेश की, वे आधिकारिक रिकॉर्ड से मेल नहीं खाते और तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है।
फैक्ट चेक में आयोग का दावा
चुनाव आयोग ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि सोशल मीडिया पर वायरल की गई सूची और उसमें किए गए दावे वास्तविक मतदाता डेटा से भिन्न हैं। आयोग ने कहा कि संबंधित राज्य की मतदाता सूची में किसी तरह की अनियमितता या अवैध नाम जोड़ने का प्रमाण नहीं मिला है। साथ ही, आयोग ने मतदाता सूची के अद्यतन और सत्यापन की प्रक्रिया को पारदर्शी और सभी राजनीतिक दलों के लिए खुला बताया।
राहुल गांधी का पलटवार
आयोग की प्रतिक्रिया के बावजूद राहुल गांधी ने अपने बयान से पीछे हटने से इनकार किया। उन्होंने फिर से मांग दोहराई कि मतदाता सूचियों की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच करवाई जाए। राहुल का आरोप है कि कई निर्वाचन क्षेत्रों में डुप्लीकेट और फर्जी नाम मौजूद हैं, जिससे चुनाव की निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है।
राजनीतिक माहौल में गरमाहट
यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब देश में आगामी विधानसभा और लोकसभा उपचुनावों की तैयारी चल रही है। कांग्रेस और भाजपा के बीच पहले से ही चुनावी आरोप-प्रत्यारोप तेज हैं। भाजपा नेताओं ने राहुल गांधी के बयान को राजनीतिक प्रचार करार देते हुए कहा कि यह जनता को गुमराह करने की कोशिश है।
चुनाव आयोग की चेतावनी
आयोग ने दो टूक कहा कि मतदाता सूची जैसे संवेदनशील विषय पर भ्रामक जानकारी फैलाना चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करता है। आयोग ने सभी राजनीतिक दलों और नेताओं से अपील की है कि वे सार्वजनिक मंचों पर केवल प्रमाणित और आधिकारिक आंकड़ों का ही इस्तेमाल करें।
अब निगाहें इस बात पर हैं कि क्या राहुल गांधी आयोग की अपील मानेंगे या अपनी मांग पर और जोर देंगे। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद आने वाले चुनावी मौसम में और गर्मी ला सकता है, क्योंकि मतदाता सूची का मुद्दा सीधा चुनावी परिणामों से जुड़ा है और इस पर दोनों पक्ष कोई ढिलाई नहीं बरतेंगे।