अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय निर्यात पर 50% तक बहेजा गया शुल्क—यह बढ़ता व्यापार तनाव सीधे रिलायंस इंडस्ट्रीज के तेल-से-केमिकल (O2C) व्यवसाय को प्रभावित कर सकता है। ट्रंप ने पहले 25% टैरिफ लागू किया था, और अब उसी पर और 25% बढ़ाकर कुल 50% कर दिया गया है, जिसका प्रबल प्रभाव दौड़ने वाला है।
रिलायंस ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में स्पष्ट चेतावनी दी है कि ये नई टैरिफ और बढ़ता भूराजनीतिक अस्थिरता व्यापार प्रवाह और मांग–आपूर्ति संतुलन को गंभीरता से प्रभावित कर सकते हैं । विशेष रूप से, तेल-केमिकल खंड में मार्जिन पर दबाव बढ़ सकता है। इसके अलावा, तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव, आपूर्ति मार्गों में बदलाव और ओपेक नीतियों के कारण पहले ही कच्चे तेल की अस्थिरता का सामना करना पड़ रहा है ।
भारत की ऊर्जाविहीन रणनीति—खासतौर पर रूस से रियायती तेल की खरीद—ने रिलायंस के लिए भारी वित्तीय लाभ उत्पन्न किए थे। 2025 में रूस से भारी मात्रा में तेल खरीदने की वजह से रिलायंस ने इस समय के दौरान लगभग $6 अरब का लाभ कमाया था । लेकिन अब अमेरिका की तरफ से इस नीति पर आर-पार की चुनौती आ गई है।
सरकार की राजनीतिक नैतिकता और व्यापार रणनीति—दोनों दबावों के बीच—रिलायंस और अन्य ऊर्जा कंपनियाँ मध्य पूर्व जैसे वैकल्पिक स्रोतों की ओर लौटने की तैयारी कर रही हैं ।
ट्रंप प्रशासन का ये टैरिफ दांव ना केवल अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को हिला रहा है, बल्कि ** Reliance Industries** के महत्त्वपूर्ण व्यवसाय मॉडल—तेल से लेकर पेट्रोकेमिकल्स तक—पर भी भारी असर डाल सकता है। अब सवाल यह है कि क्या रिलायंस इस दबाव में अपनी रणनीति बदलकर प्रतिस्पर्धात्मक बनाए रख पाएगा?