अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और मौजूदा चुनावी दौड़ में शामिल डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर वैश्विक व्यापार जगत में हलचल मचा दी है। उन्होंने घोषणा की है कि अगर वे सत्ता में लौटते हैं तो आयातित वस्तुओं पर 50% तक का टैरिफ लगाया जाएगा। यह कदम विशेष रूप से चीन, मेक्सिको और कुछ यूरोपीय देशों से आने वाले सामान को निशाना बनाएगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस नीति से अमेरिकी घरेलू उद्योग को अल्पकालिक सुरक्षा मिल सकती है, लेकिन छोटे और मध्यम आकार के व्यवसायों (SMEs) पर भारी दबाव पड़ेगा। कारण यह है कि ये कंपनियां अपने कच्चे माल और पुर्जों का एक बड़ा हिस्सा विदेशी सप्लायरों से मंगाती हैं। टैरिफ बढ़ने से उनकी उत्पादन लागत में सीधी बढ़ोतरी होगी, जिससे मुनाफा घटेगा और प्रतिस्पर्धा क्षमता कमजोर होगी।
इन सेक्टरों पर सबसे ज्यादा असर
ट्रंप के प्रस्तावित टैरिफ का सबसे गहरा असर मैन्युफैक्चरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्सटाइल, ऑटोमोबाइल पार्ट्स और उपभोक्ता वस्तुओं के क्षेत्रों पर पड़ने की आशंका है। आयात महंगा होने से घरेलू बाजार में कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे महंगाई का दबाव भी बढ़ेगा। खासतौर पर इलेक्ट्रॉनिक्स और फैशन सेक्टर, जो बड़े पैमाने पर एशियाई बाजारों पर निर्भर हैं, को वैकल्पिक सप्लाई चैन ढूंढनी पड़ सकती है।
वैश्विक व्यापार पर असर
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह कदम अमेरिका और उसके प्रमुख व्यापारिक साझेदारों के बीच तनाव बढ़ा सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर दूसरे देश भी जवाबी टैरिफ लगाते हैं, तो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में और व्यवधान आ सकता है। इससे निर्यातक देशों के साथ-साथ अमेरिकी उपभोक्ताओं और कारोबारियों को भी नुकसान होगा।
छोटे कारोबारियों की चिंता
अमेरिकी छोटे उद्योग संघों ने इस कदम को लेकर चिंता जाहिर की है। उनका कहना है कि 50% टैरिफ से लागत इतनी बढ़ जाएगी कि कई कंपनियों को उत्पादन घटाना या कारोबार बंद करना पड़ सकता है। कुछ व्यवसायों को मजबूरी में घरेलू स्तर पर महंगे कच्चे माल पर निर्भर रहना पड़ेगा, जिससे उनकी प्रतिस्पर्धा अंतरराष्ट्रीय बाजार में और कमजोर हो जाएगी।
राजनीतिक बहस तेज
ट्रंप का यह ऐलान अमेरिकी राजनीति में भी गर्म मुद्दा बन गया है। समर्थकों का तर्क है कि यह कदम घरेलू नौकरियों और उद्योग को बचाएगा, जबकि विरोधियों का कहना है कि इससे महंगाई और बेरोजगारी दोनों बढ़ सकती हैं।
आने वाले समय में इस नीति पर बहस और गहराएगी, लेकिन इतना तय है कि अगर यह लागू हुई, तो छोटे व्यवसायों के लिए यह किसी आर्थिक झटके से कम नहीं होगी।