भारत सरकार ने समुद्री क्षेत्र में ऐतिहासिक बदलाव करते हुए 67 साल पुराने "भारतीय मर्चेंट शिपिंग एक्ट, 1958" को अब पूरी तरह रद्द कर दिया है। इसकी जगह नया "भारतीय मर्चेंट शिपिंग विधेयक 2025" लाया गया है, जो न केवल समुद्री क्षेत्र में भारत की पकड़ को मजबूत करेगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुद्री नियमों के अनुरूप भी होगा।
इस नए कानून को केंद्र सरकार ने “समंदर में भारत की संप्रभुता और रणनीतिक पकड़ बढ़ाने” की दिशा में बड़ा कदम बताया है। पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने लोकसभा में इसे प्रस्तुत करते हुए कहा कि पुराना कानून तकनीकी रूप से कमजोर और आज के समय के अनुरूप नहीं था।
नए कानून में समुद्री सुरक्षा, जहाजों की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया, पर्यावरणीय नियमों, और डिजिटल मॉनिटरिंग को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाया गया है। साथ ही भारतीय तटरक्षक बल और नौसेना को भी अधिक अधिकार दिए गए हैं, जिससे भारत अब अपने समुद्री क्षेत्र में अवैध गतिविधियों और विदेशी घुसपैठ पर सख्ती से नज़र रख सकेगा।
यह विधेयक भारत को IMO (International Maritime Organization) के नवीनतम दिशा-निर्देशों के अनुरूप लाता है और "ब्लू इकॉनॉमी" को बढ़ावा देने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है। इससे न केवल भारतीय समुद्री व्यापार को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि सुरक्षा, रोजगार और निवेश के नए अवसर भी खुलेंगे।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह बदलाव चीन जैसी शक्तियों के समुद्री दबदबे को संतुलित करने में भारत को मदद देगा। साथ ही, हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की स्थिति अब और भी निर्णायक बनेगी।
सरकार ने इस कानून को "न्यू इंडिया की समुद्री नीति की रीढ़" बताया है। अब यह देखना अहम होगा कि जमीनी स्तर पर इसके क्रियान्वयन में किस तरह की चुनौतियाँ आती हैं और भारत इसे कितनी कुशलता से लागू कर पाता है।