अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की पहली आमने-सामने बैठक तय हो चुकी है। दोनों नेता 15 अगस्त 2025 को अलास्का में मिलेंगे, और वार्ता का मुख्य एजेंडा यूक्रेन में युद्ध को समाप्त करने का रास्ता खोजना होगा
यह बैठक महज शिष्टाचार का मिलन नहीं, बल्कि चार साल से जारी युद्ध को ख़त्म करने की पहल का हिस्सा है। ट्रंप ने स्पष्ट किया कि बातचीत में किसी “भूमि विनिमय” (territorial swap) की संभावना भी शामिल हो सकती है—इस प्रस्ताव ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हलचल मचा दी है ।
बयान के अनुसार, ट्रंप ने व्हाइट हाउस में संवाददाताओं को बताया कि दोनों देशों के बीच यूक्रेन में दीर्घकालीन शांति पर गंभीर चर्चा होगी। उन्होंने कहा, “कुछ क्षेत्र आपसी सहमति से साझा किए जा सकते हैं, जिससे दोनों पक्षों को लाभ होगा” । रूसी राष्ट्रपति के सलाहकार यूरी उशाकोव ने भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि यह एक कठिन लेकिन गंभीर प्रक्रिया होगी, जिसमें वे पूरी सक्रियता से भाग लेंगे ।
यह बैठक अमेरिका में आयोजित होने वाली पहली यू.एस.–रूस शिखर वार्ता होगी—इससे पहले ऐसी कोई बैठक 1988 में गवर्नर्स आइलैंड समिट के दौरान हुई थी। इस मंच को चुने जाने से प्रतीकात्मक भी एक इतिहास रचने का अवसर बनता है ।
रूस ने भी इस पहल को सकारात्मक संकेत माना है। कल के दिनों में, ट्रंप के विशेष दूतों के साथ हुए बातचीत ने इस सम्मेलन के मार्ग को आसान बनाया। Reuters की रिपोर्ट बताती है कि क्रीमलिन के एक सूत्र ने कहा कि वार्ता की शुरुआत और दिनों में होने की संभावना को लेकर उत्सुकता है ।
उसके साथ ही, इस बैठक को लेकर दुनिया भर में:
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विश्व नेताओं ने मिश्रित प्रतिक्रिया दी है—कई यूरोपीय राष्ट्रों ने क्षेत्रीय क्षेत्र की बिक्री को लेकर चिंता जताई है ।
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यूक्रेन के अधिकारियों ने पूर्व हिस्सा छोड़ने वाले समझौते को अस्वीकार किया है और किसी भी समझौते में Kyiv की इच्छाओं का सम्मान करने पर बल दिया है ।
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डॉनबास, क्राइमिया और अन्य क्षेत्रों की स्थिति संवेदनशील बनी हुई है, क्योंकि ये क्षेत्र पहले से ही विवादित हैं ।
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मिलान निश्चित: 15 अगस्त, अलास्का में वार्ता।
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फ़ोकस: यूक्रेन में युद्ध विराम और स्थायी शांति समाधान।
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संभावित प्रस्ताव: क्षेत्रीय भू-परिवर्तन पर चर्चा संभव।
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परिदृश्य: यह बातचीत वैश्विक शांति प्रयासों में एक निर्णायक मोड़ बन सकती है, बशर्ते इसमें यूक्रेन की संवेदीता और संप्रभुता का पूर्ण सम्मान हो।