अफगानिस्तान एक बार फिर भूकंप से दहल उठा। सोमवार सुबह आए तेज झटकों ने कई इलाकों में भारी तबाही मचाई। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार अब तक कम से कम 9 लोगों की मौत हो चुकी है और दर्जनों लोग घायल बताए जा रहे हैं। भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 6.3 दर्ज की गई। इसका केंद्र अफगानिस्तान के उत्तर-पूर्वी पर्वतीय क्षेत्र में बताया जा रहा है।
घर मलबे में तब्दील
भूकंप के झटकों से कई मकान जमींदोज हो गए। प्रभावित इलाकों में लोग खुले मैदानों में निकल आए और प्रशासन ने राहत-बचाव कार्य शुरू कर दिया है। ग्रामीण इलाकों में कच्चे मकान ध्वस्त होने से हताहतों की संख्या और बढ़ने की आशंका है। आपदा प्रबंधन टीमें मलबे में दबे लोगों को निकालने में जुटी हैं।
दिल्ली-एनसीआर में भी महसूस हुए झटके
इस भूकंप का असर भारत तक महसूस किया गया। दिल्ली-एनसीआर, जम्मू-कश्मीर और पंजाब के कई हिस्सों में लोग झटकों को महसूस कर दहशत में घरों और दफ्तरों से बाहर निकल आए। हालांकि भारत में किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं मिली है।
लोगों में दहशत
अचानक आए झटकों से लोग भयभीत हो गए। अफगानिस्तान के कई इलाकों में बिजली आपूर्ति बाधित हो गई है और संचार व्यवस्था पर भी असर पड़ा है। स्थानीय प्रशासन ने लोगों से शांति बनाए रखने और सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की है।
लगातार आपदाओं से जूझ रहा अफगानिस्तान
अफगानिस्तान पिछले कुछ वर्षों से प्राकृतिक आपदाओं से बुरी तरह प्रभावित रहा है। भूकंप, बाढ़ और भूस्खलन जैसी घटनाएं यहां आम हो चुकी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि पर्वतीय इलाका होने और निर्माण मानकों की कमी के कारण यहां हर भूकंप भारी नुकसान पहुंचाता है।
अंतरराष्ट्रीय मदद की उम्मीद
स्थानीय प्रशासन ने अंतरराष्ट्रीय संगठनों और पड़ोसी देशों से मदद की अपील की है। राहत और चिकित्सा सामग्री की जरूरत तेजी से बढ़ रही है।
संक्षेप में, 1 सितंबर का यह भूकंप अफगानिस्तान के लिए एक और त्रासदी बनकर सामने आया है। जहां सैकड़ों परिवार बेघर हो गए हैं, वहीं क्षेत्र में लगातार भूकंपीय गतिविधियों ने सुरक्षा और पुनर्निर्माण की चुनौतियों को और गहरा कर दिया है।