चुनाव आयोग ने मतदाता पहचान पत्र से जुड़ा बड़ा फैसला लिया है। बिहार में सफल प्रयोग के बाद अब पूरे देश में वोटर कार्ड बदले जाएंगे। इसके तहत SIR (सिक्योर इंटीग्रेटेड रिपॉजिटरी) तकनीक वाले नए पहचान पत्र जारी किए जाएंगे, जिनसे मतदाता की पहचान और अधिक सुरक्षित और पारदर्शी हो जाएगी।
चुनाव आयोग के अधिकारियों के अनुसार, इस नई तकनीक का मुख्य उद्देश्य वोटिंग प्रक्रिया को फर्जीवाड़े से बचाना और डिजिटल युग की जरूरतों के मुताबिक पहचान प्रणाली को मजबूत करना है। नए वोटर कार्ड में अत्याधुनिक सिक्योरिटी फीचर्स शामिल होंगे, जिनसे किसी भी तरह की जालसाजी करना मुश्किल हो जाएगा।
बिहार में हुए ट्रायल के दौरान यह सामने आया कि SIR तकनीक वाले पहचान पत्र न केवल आसानी से स्कैन किए जा सकते हैं, बल्कि इन्हें आधार और अन्य सरकारी डेटाबेस से भी सुरक्षित तरीके से जोड़ा जा सकता है। इससे मतदाता सूची की पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़ेगी। चुनाव आयोग ने बताया कि आने वाले कुछ महीनों में चरणबद्ध तरीके से पूरे देश में पुराने कार्ड बदले जाएंगे।
नए कार्ड जारी करने की प्रक्रिया के लिए आयोग ने राज्यों को दिशा-निर्देश भेज दिए हैं। मतदाताओं को इसके लिए ज्यादा भाग-दौड़ नहीं करनी होगी। जो लोग पहले से वोटर लिस्ट में पंजीकृत हैं, उनके पुराने कार्ड अपने आप अपग्रेड हो जाएंगे और उन्हें डाक या स्थानीय बूथ स्तर पर उपलब्ध कराए जाएंगे। वहीं, नए मतदाताओं को सीधे SIR तकनीक से लैस कार्ड ही दिए जाएंगे।
चुनाव आयोग का कहना है कि यह पहल भविष्य के चुनावों में मतदान प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी, विश्वसनीय और तकनीकी रूप से सशक्त बनाएगी। साथ ही इससे उन शिकायतों पर भी रोक लगेगी, जिनमें अक्सर डुप्लीकेट वोटर कार्ड या फर्जी पहचान पत्र के इस्तेमाल की बात सामने आती है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस कदम से मतदाता विश्वास और चुनावी प्रणाली की विश्वसनीयता में बड़ा सुधार होगा। बिहार में हुए प्रयोग के सकारात्मक नतीजे ही इसे देशभर में लागू करने का आधार बने हैं।
आयोग की योजना है कि अगले लोकसभा चुनाव से पहले सभी मतदाताओं को नए पहचान पत्र उपलब्ध करा दिए जाएं। इससे चुनावी प्रक्रिया न केवल सुरक्षित होगी बल्कि डिजिटल इंडिया अभियान को भी मजबूती मिलेगी।