अफगानिस्तान में सोमवार को आए भीषण भूकंप ने व्यापक तबाही मचाई है। रिक्टर पैमाने पर 6.9 तीव्रता वाले इस भूकंप से अब तक 812 से ज्यादा लोगों की मौत और करीब 2800 लोगों के घायल होने की पुष्टि हुई है। कई इलाकों में सैकड़ों घर ढह गए, सड़कें टूट गईं और संचार व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई। राहत और बचाव कार्य जारी है, लेकिन खराब मौसम और दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियां मुश्किलें बढ़ा रही हैं।
अफगानिस्तान सरकार ने आपदा को राष्ट्रीय संकट घोषित करते हुए अंतरराष्ट्रीय मदद की अपील की है। संयुक्त राष्ट्र और कई राहत संगठन पहले ही सक्रिय हो चुके हैं। इस बीच, भारत ने अपने पड़ोसी देश की सहायता के लिए तेजी से कदम बढ़ाए हैं। विदेश मंत्रालय ने जानकारी दी कि 1000 परिवारों के लिए टेंट और 15 टन खाद्य सामग्री काबुल भेजी गई है। इसके अलावा दवाइयां और जरूरी सामान भी पहुंचाया गया है।
भारत सरकार ने आश्वासन दिया है कि जरूरत पड़ने पर और मदद भेजी जाएगी। अधिकारियों ने बताया कि मंगलवार को एक और विशेष विमान राहत सामग्री लेकर अफगानिस्तान रवाना होगा। इसमें अतिरिक्त तिरपाल, दवाइयां, पानी शुद्धिकरण मशीनें और अन्य आवश्यक सामान शामिल होगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि यह भारत की ‘पड़ोसी पहले’ नीति और मानवीय कर्तव्य का हिस्सा है।
भूकंप से सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र अफगानिस्तान के उत्तर और पूर्वी प्रांत बताए जा रहे हैं। हेरात, बदख्शां और तखार इलाकों में घर पूरी तरह ध्वस्त हो गए हैं। कई गांवों में तो 70 फीसदी से ज्यादा मकान जमींदोज हो गए। बचाव दल लगातार मलबे से लोगों को निकालने का प्रयास कर रहे हैं। स्थानीय प्रशासन ने अस्थायी शिविर बनाए हैं, लेकिन वहां बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी है।
घटना के बाद पूरे क्षेत्र में अफरा-तफरी का माहौल है। लोग खुले आसमान के नीचे रात गुजारने को मजबूर हैं। अस्पतालों में घायलों की संख्या इतनी ज्यादा है कि बेड और दवाइयां कम पड़ रही हैं। ऐसे में भारत समेत अन्य देशों से मिली मानवीय मदद लोगों के लिए राहत की उम्मीद बन रही है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने अफगानिस्तान को सहयोग का भरोसा दिया है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने गहरी संवेदना जताते हुए राहत सामग्री भेजने का ऐलान किया है। वहीं, पाकिस्तान, ईरान और तुर्की ने भी मदद की पेशकश की है।
विशेषज्ञों का कहना है कि जिस इलाके में यह भूकंप आया, वह भूकंपीय दृष्टि से संवेदनशील माना जाता है। बीते एक दशक में अफगानिस्तान कई बार भूकंप की चपेट में आ चुका है, लेकिन इस बार की तबाही पिछले वर्षों की तुलना में कहीं ज्यादा गंभीर है।
भारत द्वारा भेजी गई मदद ने अफगानिस्तान के लोगों को उम्मीद की किरण दिखाई है। आने वाले दिनों में राहत और पुनर्वास की चुनौतियां और बढ़ेंगी, ऐसे में अंतरराष्ट्रीय सहयोग ही वहां सामान्य स्थिति बहाल करने में सहायक साबित होगा।