दिल्ली इन दिनों यमुना नदी के उफान से जूझ रही है। लगातार हो रही भारी बारिश और पहाड़ी क्षेत्रों से छोड़े गए पानी के कारण यमुना का जलस्तर खतरनाक स्तर से ऊपर पहुंच चुका है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति पिछले 15 वर्षों में पहली बार देखने को मिल रही है। नदी के बढ़ते जलस्तर ने निचले इलाकों में बाढ़ जैसे हालात पैदा कर दिए हैं और आशंका जताई जा रही है कि आज इसका पानी लाल किले तक पहुंच सकता है।
दिल्ली सरकार और प्रशासन ने हाई अलर्ट जारी कर दिया है। यमुना के किनारे बसे इलाकों में रह रहे हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा रहा है। एनडीआरएफ और सिविल डिफेंस की टीमें लगातार राहत और बचाव कार्यों में लगी हुई हैं। स्कूलों और कॉलेजों को बंद करने का भी निर्णय लिया गया है ताकि जनहानि की आशंका कम हो।
बाढ़ का असर दिल्ली की यातायात व्यवस्था पर भी स्पष्ट दिख रहा है। कई सड़कें और अंडरपास पानी में डूब गए हैं, जिससे जाम की स्थिति बन गई है। मेट्रो सेवाओं को प्रभावित होने से बचाने के लिए सुरक्षा जांच बढ़ा दी गई है। वहीं, कई जगहों पर बिजली और पानी की आपूर्ति बाधित हो रही है।
यमुना का पानी बढ़ने से पुरानी दिल्ली और नदी के किनारे बसी कॉलोनियों में हालात गंभीर हो गए हैं। आईटीओ, मजनूं का टीला, यमुना बाजार और कश्मीरी गेट जैसे इलाके जलमग्न हो गए हैं। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए नावों और अस्थायी बोट सेवाओं का सहारा लिया जा रहा है।
पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि यह बाढ़ सिर्फ बारिश का परिणाम नहीं है, बल्कि अव्यवस्थित शहरीकरण और यमुना के किनारों पर अनियंत्रित अतिक्रमण भी बड़ी वजह हैं। जल निकासी व्यवस्था समय पर दुरुस्त न होने से हालात और बिगड़ गए।
मुख्यमंत्री ने आपात बैठक बुलाकर हालात का जायजा लिया और प्रभावित परिवारों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया। केंद्र से भी राहत सामग्री और अतिरिक्त एनडीआरएफ टीमें मांगी गई हैं।
फिलहाल, सबसे बड़ी चुनौती यमुना के पानी को लाल किले और उसके आसपास के इलाकों तक पहुंचने से रोकने की है। यदि जलस्तर और बढ़ा, तो दिल्ली के ऐतिहासिक धरोहर क्षेत्र पर भी खतरा मंडरा सकता है।