यूक्रेन और रूस के बीच जारी जंग को लेकर हालात एक बार फिर तनावपूर्ण हो गए हैं। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की को कड़ी चेतावनी दी है। पुतिन ने साफ कहा है कि अगर यूक्रेन शांति वार्ता के जरिए युद्ध को समाप्त नहीं करता तो रूस “ताकत के बल” पर इसे खत्म करेगा। पुतिन का यह बयान न केवल यूक्रेन बल्कि पश्चिमी देशों के लिए भी सीधा संदेश माना जा रहा है।
अमेरिका का दबाव नाकाम
अमेरिका और यूरोपीय देशों ने अब तक रूस पर कई तरह के कड़े प्रतिबंध लगाए हैं और कूटनीतिक दबाव बनाने की कोशिश की है। वाशिंगटन की ओर से लगातार रूस को चेतावनी दी जाती रही है कि अगर वह युद्ध बंद नहीं करता तो उसे आर्थिक और सामरिक रूप से और ज्यादा अलग-थलग कर दिया जाएगा। लेकिन पुतिन की नई टिप्पणी से साफ हो गया है कि अमेरिका का यह दबाव कोई असर नहीं डाल पाया है। रूस अब भी अपने सैन्य अभियान को मजबूती से आगे बढ़ा रहा है।
जेलेंस्की पर दबाव
पुतिन के बयान से यूक्रेन की स्थिति और मुश्किल हो सकती है। यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की पहले ही पश्चिमी देशों की मदद पर निर्भर हैं। हालांकि उन्हें अमेरिका और नाटो देशों से सैन्य व आर्थिक सहायता मिलती रही है, लेकिन रूस की सैन्य ताकत और आक्रामक रणनीति यूक्रेन के लिए भारी पड़ रही है। इस बीच, बातचीत की टेबल पर लौटने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव बढ़ता जा रहा है।
रूस की रणनीति
विशेषज्ञों का मानना है कि पुतिन बातचीत की बजाय शक्ति प्रदर्शन की नीति पर जोर दे रहे हैं। रूस यह संदेश देना चाहता है कि उसकी शर्तों के बिना युद्धविराम संभव नहीं है। रूस पहले ही पूर्वी यूक्रेन के कई इलाकों पर नियंत्रण मजबूत कर चुका है और उसे लगता है कि बातचीत की बजाय सैन्य दबाव से वह अधिक फायदे की स्थिति हासिल कर सकता है।
यूरोप की चिंता
इस संकट से यूरोप की सुरक्षा पर भी गहरा असर पड़ रहा है। यूरोपीय संघ लगातार मध्यस्थता की कोशिश कर रहा है, लेकिन रूस की आक्रामक स्थिति और अमेरिका की रणनीति के बीच समाधान कठिन होता जा रहा है। यूरोप को डर है कि युद्ध लंबा खिंचने पर ऊर्जा संकट और शरणार्थी समस्या और भी विकराल हो जाएगी।
पुतिन के बयान से स्पष्ट है कि रूस अब समझौते की बजाय दबाव की रणनीति अपना रहा है। दूसरी ओर, जेलेंस्की पश्चिमी समर्थन खोने का जोखिम नहीं उठा सकते। ऐसे में यूक्रेन के सामने दो ही विकल्प हैं—या तो रूस के साथ बातचीत कर समझौते की कोशिश करे, या फिर युद्ध की स्थिति को और बिगड़ने दे।
कुल मिलाकर, पुतिन की धमकी ने इस युद्ध को नए मोड़ पर ला खड़ा किया है। अमेरिका और नाटो के दबाव बेअसर साबित हो रहे हैं और अब दुनिया की नजर इस पर टिकी है कि यूक्रेन कौन-सा रास्ता चुनता है—बातचीत या फिर और विनाश।