अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक और बड़ा आर्थिक फैसला लेते हुए इस बार फिल्मों और एंटरटेनमेंट सेक्टर को भी अपने टैरिफ हथियार का निशाना बना दिया है। नए आदेश के तहत हॉलीवुड फिल्मों पर 100 प्रतिशत तक का अतिरिक्त टैक्स लगाया गया है। ट्रंप प्रशासन का दावा है कि यह कदम अमेरिकी फिल्म इंडस्ट्री की रक्षा और स्थानीय रोजगार को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इस निर्णय के वैश्विक मनोरंजन बाजार और खासकर भारत पर गहरा असर पड़ेगा।
हॉलीवुड पर सीधा प्रहार
हॉलीवुड दुनिया भर में सबसे बड़ी फिल्म इंडस्ट्री मानी जाती है, जिसकी कमाई का बड़ा हिस्सा विदेशी बाजारों से आता है। अमेरिका में लगाए गए इस टैक्स से विदेशी फिल्मों की लागत दोगुनी हो जाएगी। इसका असर दर्शकों की जेब पर भी पड़ सकता है। माना जा रहा है कि विदेशी फिल्मों के टिकट दाम बढ़ सकते हैं, जिससे उनकी लोकप्रियता प्रभावित होगी।
भारत पर क्या होगा असर?
भारत हॉलीवुड फिल्मों का बड़ा बाजार है। हर साल दर्जनों अंग्रेज़ी फिल्में यहां रिलीज़ होती हैं और बॉक्स ऑफिस पर अच्छा कारोबार करती हैं। 100% टैक्स के फैसले से भारतीय वितरकों और सिनेमाघरों की लागत बढ़ जाएगी। इसका नतीजा टिकट की कीमतों में इज़ाफे और हॉलीवुड फिल्मों की पहुंच सीमित होने के रूप में सामने आ सकता है।
हालांकि, फिल्म विश्लेषकों का कहना है कि इससे बॉलीवुड और क्षेत्रीय सिनेमा को अप्रत्यक्ष रूप से फायदा मिल सकता है। अगर हॉलीवुड फिल्में महंगी होंगी, तो भारतीय दर्शक घरेलू फिल्मों की ओर रुख कर सकते हैं। इससे देसी इंडस्ट्री को नए अवसर मिल सकते हैं।
वैश्विक प्रतिक्रिया और संभावित विवाद
ट्रंप के इस फैसले ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहस छेड़ दी है। कई देश इसे "सांस्कृतिक व्यापार युद्ध" की शुरुआत मान रहे हैं। विश्व व्यापार संगठन (WTO) में भी इस पर सवाल उठ सकते हैं क्योंकि फिल्म और एंटरटेनमेंट को लंबे समय से मुक्त व्यापार का हिस्सा माना जाता रहा है।
यूरोपीय संघ और एशियाई देशों ने संकेत दिए हैं कि वे भी जवाबी कार्रवाई कर सकते हैं। ऐसे में एक नई व्यापारिक तनातनी की स्थिति बन सकती है, जिसका असर कई अन्य क्षेत्रों पर पड़ना तय है।
अमेरिकी दर्शकों पर असर
अमेरिकी दर्शकों के लिए भी यह फैसला आसान नहीं होगा। विदेशी फिल्मों की लागत बढ़ने से सिनेमाघरों में टिकट दाम और ओटीटी प्लेटफॉर्म की सब्सक्रिप्शन फीस बढ़ सकती है। युवा दर्शक, जो विदेशी कंटेंट के बड़े प्रशंसक हैं, इस बदलाव से खासे प्रभावित होंगे।
ट्रंप का यह कदम सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि राजनीतिक भी माना जा रहा है। चुनावी साल में "अमेरिका फर्स्ट" एजेंडे को और मज़बूत करने के लिए ऐसे फैसले उठाए जा रहे हैं। लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या अमेरिकी फिल्म इंडस्ट्री को सचमुच इसका लाभ मिलेगा या फिर यह निर्णय वैश्विक बाजार में अमेरिका की स्थिति को चुनौतीपूर्ण बना देगा। भारत जैसे बड़े बाजार के लिए यह फैसला नुकसान और अवसर दोनों लेकर आया है।