भारत अब रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है। 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' के विजन के तहत स्वदेशी लड़ाकू विमान बनाने की योजना को लेकर देश की सात बड़ी कंपनियां मैदान में उतर चुकी हैं। इनमें सरकारी से लेकर निजी क्षेत्र की नामी कंपनियां शामिल हैं।
HAL (हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड)
सरकारी एयरोस्पेस कंपनी HAL इस प्रोजेक्ट की प्रमुख दावेदार मानी जा रही है। तेजस जैसे स्वदेशी लड़ाकू विमान बनाने का अनुभव होने के कारण इसका पलड़ा भारी है। HAL ने पहले ही अपने उन्नत प्रोटोटाइप और उत्पादन क्षमता का खाका सरकार को सौंप दिया है।
L&T डिफेंस
इंफ्रास्ट्रक्चर और इंजीनियरिंग क्षेत्र की दिग्गज कंपनी लार्सन एंड टुब्रो भी इस दौड़ में शामिल है। L&T की ताकत भारी मशीनरी, एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी और रक्षा प्रोजेक्ट्स को समय पर पूरा करने में रही है। विशेषज्ञ मानते हैं कि HAL और L&T की संयुक्त भागीदारी इस प्रोजेक्ट को और मजबूत बना सकती है।
टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स
टाटा ग्रुप लंबे समय से एयरबस और लॉकहीड मार्टिन जैसी विदेशी कंपनियों के साथ संयुक्त उपक्रम कर रहा है। इस अनुभव का लाभ इसे स्वदेशी फाइटर जेट के निर्माण में मिलेगा। टाटा का दावा है कि वह न केवल निर्माण बल्कि निर्यात क्षमता भी विकसित कर सकता है।
अडानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस
अडानी समूह हाल के वर्षों में रक्षा क्षेत्र में तेजी से उभरा है। इस कंपनी ने कई अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों पर काम किया है। अडानी की विशेषज्ञता उन्नत इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम्स और मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स स्थापित करने में है।
महिंद्रा डिफेंस
महिंद्रा डिफेंस भी इस रेस में है। कंपनी पहले से ही सैन्य वाहनों और नौसेना उपकरणों का निर्माण करती है। अब इसका लक्ष्य एयरोस्पेस सेगमेंट में बड़ा योगदान देना है।
भारत फोर्ज (Kalyani Group)
भारत फोर्ज, भारी धातु उपकरण और डिफेंस पार्ट्स बनाने में माहिर है। स्वदेशी विमान के लिए जरूरी इंजन पार्ट्स और ढांचे के निर्माण में इसकी भूमिका अहम हो सकती है।
डायनामिक टेक्नोलॉजीज
यह कंपनी एयरोस्पेस कंपोनेंट्स बनाने में विशेषज्ञ है। ग्लोबल सप्लाई चेन में मौजूदगी के चलते इसे तकनीकी साझेदारी का फायदा मिल सकता है।
भारत की इन सात बड़ी कंपनियों की होड़ से स्पष्ट है कि आने वाले वर्षों में देश पूरी तरह स्वदेशी फाइटर जेट के उत्पादन में सक्षम हो जाएगा। इससे न केवल रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी, बल्कि भारत वैश्विक स्तर पर हथियार निर्यातक देशों की सूची में भी शामिल हो सकता है।